चार दिन तक चलने वाले छठ पर्व में सभी तरह के नियमों का पालन किया जाता है और साफ-सफाई का विशेष तौर पर ध्यान देते हैं। खरना से निर्जला व्रत का आरंभ होता है और उगते सूर्य को अर्घ्य देने तक चलता है। इस दौरान व्रत करने वाली महिलाएं मांग से नाक तक सिंदूर लगाती हैं। आइए जानते हैं इतना लंबा सिंदूर क्यों लगाते हैं।
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छठ पर्व में महिलाएं नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाती हैं। आम तौर पर महिलाएं केवल मांग में सिंदूर लगाती हैं। लेकिन छठ के अवसर पर नाक के मांग तक सिंदूर लगाने की परंपरा रही है। इसे सिंदूर जोड़ी भी कहते हैं, कहीं कहीं लोग इसे लोग ढासा भी कहते हैं। दरअसल इस प्रकर सिंदूर लगाने के पीछे भी कई मान्यताएं हैं। इसमें भी सिंदूर के रंग का भी अपना महत्व होता है। आइए जानते हैं छठ पर्व में नाक से मांग तक सिंदूर लगाने के पीछे क्या है रहस्य।
छठ में नाक से मांग तक सिंदूर का महत्व
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छठ व्रती महिलाएं नाक से मांग तक खास सिंदूर लगाती हैं। मान्यता है कि लंबा सिंदूर पति के लिए शुभ होता है और यह परिवार में सुख-संपन्नता का भी प्रतीक है। माना जाता है कि सिंदूर जितना लंबा होगा, पति की आयु भी उतनी ही लंबी होगी। यह भी कहा जाता है कि सिंदूर सुहाग यानी पति का प्रतीक है। जो महिलाएं सिंदूर छिपा लेती हैं, उनका पति समाज में छिप जाता है और तरक्की नहीं कर पाता। इससे उसकी आयु भी कम हो जाती है। इस कारण भी छठ के दौरान महिलाएं लंबा सिंदूर लगाती हैं। इसके माध्यम से वह अपने पति के प्रति प्रेम और सम्मान भी जाहिर करती हैं। छठ पूजा में 3 तरह के सिंदूर का इस्तेमाल होता है।
सुर्ख लाल सिंदूर
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लाल रंग का सिंदूर मां पार्वती और सती की ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि लाल रंग का सिंदूर लगाने से पति की आयु लंबी होती है। आमतौर पर महिलाएं लाल रंग के सिंदूर का ही इस्तेमाल करती हैं।
पीला या नारंगी सिंदूर
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छठ पूजा के दौरान महिलाएं पीले या नारंगी रंग का सिंदूर भी लगाती है। यह सिंदूर नाक से माथे तक लगाया जाता है। व्रती महिलाएं अन्य शादीशुदा महिलाओं की भी इस सिंदूर से मांग सजाती हैं। कहा जाता है की इस सिंदूर से छठी मैया और भगवान सूर्य का आशीर्वाद मिलता है और पति का सम्मान बढ़ता है।