अफगानिस्तान को फिर खड़ा करेगा भारत! 1 साल बाद काबुल दूतावास पहुंचे भारतीय अधिकारी

नई दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय राजनयिकों का एक दल अफगानिस्तान गया है और भारत पड़ोसी देश से अपने ऐतिहासिक संबंधों के मद्देनजर दोनों देशों के लोगों के बीच संबंधों को लगातार कायम रखेगा. राजनयिकों के इस दल में राजदूत शामिल नहीं हैं. जयशंकर ने कहा कि भारतीय राजनयिकों ने पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान के हालात को देखते हुए वहां को दूतावास को छोड़ दिया था और अब राजनयिकों का एक बैच फिर वापस गया है.

न्यूज एजेंसी भाषा की एक खबर के मुताबिक विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि वहां नियुक्त अफगान कर्मी यथावत हैं और भारत उन्हें वेतन देता रहेगा. जयशंकर ने कहा कि ‘हमने फैसला किया कि हम भारतीय राजनयिकों को दूतावास में वापस भेजेंगे, न कि राजदूत को, और यह सुनिश्चित करेंगे कि वे काम करने में सक्षम हों.’ भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि बहुत से मुद्दों पर काम करने की जरूरत है जिनमें– मानवीय सहायता, चिकित्सा सहायता, वैक्सीन, विकास परियोजनाएं शामिल हैं.गौरतलब है कि पिछले साल 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया था. जिसके बाद भारत ने वहां से अपना दूतावास खाली कर दिया था.

विदेश मंत्री ने कहा कि हमने ये फैसला बहुत ही सोच-समझकर किया है. हमारा संबंध अफगानिस्तान के लोगों के साथ, समाज के साथ है. यह कि यह एक ऐसा संबंध है जो काफी गहरा है और एक मायने में ऐतिहासिक रूप से इतना लंबा है कि हम वास्तव में इन राजनीतिक बदलावों में उन तरीकों को खोज सकेंगे, जिससे लोगों से लोगों के रिश्ते को जारी रख सकें.

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जयशंकर ने कहा कि जब अफगानिस्तान में गेहूं की अत्यधिक मांग के साथ एक खाद्य संकट पैदा हुआ था, तो भारत ने उन्हें 40,000 टन खाद्यान्न की आपूर्ति की. विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में गेहूं पहुंचाना भी एक बहुत ही जटिल कूटनीतिक काम था. क्योंकि पाकिस्तान को गेहूं को अपने देश से गुजरने की अनुमति देने के लिए राजी करना था, जो हमने किया.