सांसदों और विधायकों की संख्या के आधार पर एकनाथ शिंदे की ओर से दावा किया जा रहा है कि असली शिवसेना उनकी है। वहीं उद्धव ठाकरे कैंप की ओर से यह कहा जा रहा है कि पार्टी छोड़कर जाने वालों का पार्टी पर दावा कैसे। ऐसे में विधायकों की अयोग्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से क्या कहा जाता इस पर सबकी नजर है।
हाइलाइट्स
- सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से ठीक पहले एकनाथ के समर्थन में आए शिवसेना सांसद
- लोकसभा अध्यक्ष ने राहुल शेवाले को शिवसेना नेता के रूप में दी मान्यता : एकनाथ शिंदे
- विधायकों की अयोग्यता को लेकर क्या होगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला, आज है सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले एकनाथ शिंदे का बड़ा दांव
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से ठीक एक दिन पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने एक नया दांव चल दिया। विधायकों के बाद अब सांसदों को लेकर उन्होंने उद्धव ठाकरे को मुश्किल में डाल दिया है। शिंदे ने शिवसेना पर दावा ठोकते हुए पार्टी के 12 सांसदों की लोकसभा स्पीकर के सामने परेड करा दी और यह दावा किया कि पार्टी के 19 में 18 सासदों का समर्थन उनके पास हैं। शिंदे ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि शिवसेना के सांसदों ने पार्टी संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के आदर्शों को कायम रखने के उनके रुख का समर्थन किया है।
उन्होंने कहा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राहुल शेवाले को लोकसभा में शिवसेना के नेता के रूप में मान्यता दे दी है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे सहित शिवसेना के बारह लोकसभा सदस्यों ने पहले अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और उनसे संसद के निचले सदन में पार्टी के नेता को बदलने का अनुरोध किया।
दोनों के अपने- अपने दावे, सुप्रीम कोर्ट पर सबकी नजर
शिवसेना के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 20 जुलाई को सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच मामले की सुनवाई करेगी जिसमें जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को शिवसेना पर दावे को लेकर ठाकरे और शिंदे गुट के बीच कानूनी लड़ाई पर विराम लगाया था। साथ ही कोर्ट ने विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता के नोटिस पर भी तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था। महाराष्ट्र संकट को लेकर अब सबकी नजर 20 जुलाई को होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर है।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से क्या फैसला आता है इसके बाद ही शिवसेना की लड़ाई में एक नया मोड़ आएगा। आज होने वाली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की ओर से भ्रम की स्थिति दूर करने का प्रयास होगा। शिंदे गुट का तर्क है कि उनके पास शिवसेना के दो तिहाई विधायक हैं और अब कई सांसद भी उनके पाले में जा चुके हैं। इसलिए असली शिवसेना उनकी है। वहीं उद्धव ठाकरे गुट का कहना कि दो तिहाई बहुमत होने के बावजूद कोई गुट उस पार्टी पर अपना दावा नहीं कर सकता जिससे कि वह अलग हुआ है।
शिवसेना किसकी अब लड़ाई सिर्फ इसकी
महाराष्ट्र के सत्ता की लड़ाई एकनाथ शिंदे जीत गए हैं लेकिन अब लड़ाई यह है कि शिवसेना किसकी। सुप्रीम के फैसले पर यह नजर है कि वह किसे अयोग्य ठहराए और किसे नहीं। इसके बाद पार्टी के चुनाव चिन्ह धनुष बाण को लड़ाई शुरू होगी। शिवसेना पहले ही अपने चुनाव चिन्ह को लेकर चुनाव आयोग पहुंच चुकी है। शिंदे गुट का यह कहना है कि शिवसेना के सांसद और विधायक संख्या के आधार पर उनके साथ हैं। दो तिहाई जनप्रतिनिधि उनके साथ हैं इसलिए शिवसेना उनकी है। वहीं उद्धव ठाकरे गुट का कहना है कि कार्यकारिणी का बहुमत उनके पास है। पिछले महीने कार्यकारिणी की बैठक में उद्धव ठाकरे को फैसले लेने के अधिकार दिया गया था। साथ ही कहा गया था कि बाला साहेब ठाकरे के नाम का इस्तेमाल कोई और नहीं करेगा।
वहीं एकनाथ शिंदे ने इस मोर्चे पर उद्धव ठाकरे को मात देने के लिए शिवसेना की पुरानी कार्यकारिणी को बर्खास्त कर नई कार्यकारिणी की घोषणा कर दी। नई कार्यकारिणी में एकनाथ शिंदे को मुख्य नेता को तौर पर नियुक्त किया गया। शिवसेना के भीतर चल रहे सियासी घमासान को लेकर अब नजर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर होगी। साथ ही शिवसेना किसकी यह लड़ाई इस जगह ही नहीं थमने वाली चुनाव आयोग पर भी इस पूरे मामले पर नजर रहेगी। सदस्यों की संख्या वर्तमान राजनीतिक समीकरण को देखा जाए तो कहा जा सकता है कि उद्धव ठाकरे के आने वाले दिन मुश्किल भरे हो सकते हैं।