आ गया भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर ‘विक्रांत’, जानें कैसे बढ़ेगी भारतीय नौसेना की ताकत

First Indigenous Aircraft Carrier Vikrant: इंडियन नेवी ने कोच्चि शिपयार्ड से पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत की डिलीवरी ले ली है। माना जा रहा है कि इसके आने से भारतीय नौसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा। इसके अलावा भारत अब उन चुनिंदा देशों की कतार में शामिल हो गया है जिसके पास खुद से एयरक्राफ्ट का डिजाइन औऱ निर्माण करने की क्षमता है।

 
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भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत
नई दिल्ली: केंद्र सरकार और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मंचों और कार्यक्रमों से आत्मनिर्भर भारत की वकालत करते हुए देखे जाते हैं। भारतीय सेना में भी पीएम मोदी इसे लागू करने की सलाह देते हैं। इसी कड़ी में गुरुवार को कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत को भारतीय नौसेना को सौंप दिया। यह भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है। माना जा रहा है कि इसके आने से भारतीय नौसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा। इसके अलावा भारत अब उन चुनिंदा देशों की कतार में शामिल हो गया है जिसके पास खुद से एयरक्राफ्ट का डिजाइन औऱ निर्माण करने की क्षमता है।

भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के नाम पर हुआ नामकरण
भारतीय नौसेना ने इस उबलब्धि पर बताया कि पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर का नाम भारत के पहले एयरक्राफ्ट विक्रांत के नाम पर रखा गया है। नौसेना ने आगे बताया इसे भारतीय नौसेना के इन-हाउस डायरेक्टरेट ऑफ नेवल डिजाइन की ओर से डिजाइन किया गया और बाद में सीएसएल ने इस एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण किया है। इंडियन नेवी ने आगे कहा कि भारत जब इस समय आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है ऐसे में विक्रांत का नए रूप में आना समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने की दिशा में क्षमता निर्माण के लिए देश के उत्साहा का एक सही उदाहरण है।

विक्रांत के साथ भारतीय नौसेना

स्वदेशी विक्रांत की खूबियां जानिए
स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत की खूबी भी जानना इसके बाद और जरूरी हो जाता है। इस जहाज की लंबाई 262 मीटर है और इसका वजन 45000 टन है। यह भारत के पहले एयरक्राफ्टा कैरियर की तुलना में बहुत बड़ा और अधिक बेहतर है। इस जहाज को संचालित करने के लिए 88 मेगावॉट बिजली की 4 गैसा टर्बाइन का प्रयोग किया जाता है। स्पीड की बात करें तो इसकी गति 28 समुद्री मील है। इस एयरक्राफ्ट करियर को बनाने में 20 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है। इस परियोजना को रक्षा मंत्रालय और सीएएसएल के बीच अनुबंध के 3 चरणों साल 2007, 2014 और 2019 में पूरा हुआ है।