रोज़गार की तलाश में हर दिन असंख्य लोग अपना घर छोड़कर दूसरे शहरों और दूसरे देशों में जाते हैं. कुछ लोगों को तो काम मिल जाता है लेकिन कुछ बदकिस्मत लोग गलत लोगों के चंगुल में फंस जाते हैं. मानव तस्करी और यौन तस्करी के दलदल में फंस जाते हैं. 70 वर्षीय हमीदा बानो की कहानी भी कुछ ऐसी ही थी लेकिन इंटरनेट की ताकत उनकी ज़िन्दगी में नया दिन लेकर आई.
2002 में दुबई के लिए निकली थी, लापता हो गई
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुंबई से 2002 में हमीदा बानो दुबई के लिए निकली थी. उस समय हमीदा की उम्र 50 साल की थी. हैदराबाद, पाकिस्तान में रह रही हमीदा दरअसल भारतीय हैं. 2002 में उन्हें एक एजेंट ने दुबई में नौकरी देने का झांसा दिया. गौरतलब है कि हमीदा दुबई नहीं बल्कि पाकिस्तान के एक मोहल्ले पहुंच घईं.
पाकिस्तानी एक्टिविस्ट ने की मदद
पाकिस्तान पहुंची हमीदा ने अपनी किस्मत का लिखा स्वीकार कर लिया. यहां के एक शख्स से उन्होंने शादी की, दोनों की एक संतान भी है. हमीदा के पति की मौत हो गई. पाकिस्तान के एक एक्टिविस्ट, वलीउल्लाह मारूफ़ (Waliullah Maroof) को हमीदा बानो ने अपनी आपबीती सुनाई. मारूफ़ ने हमीदा की कहानी सुनी और उन्हें घरवालों से मिलाने की कोशिशों में लग गए.
इंटरनेट की ताकत ने घरवालों से मिलवाया
वलीउल्लाह मारूफ़ ने हमीदा बानो का एक वीडियो यूट्यूब पर शेयर किया. इसके अलावा उन्होंने मुंबई के सोशल एक्टिविस्ट की भी तलाश शुरू की, जो उनकी मदद कर सके. मारूफ़ को एक्टिविस्ट खफ़लान शेख़ (Khaflan Shaikh) ने मदद का आश्वासन दिया. शेख ने हमीदा का वीडियो स्थानीय ग्रुप्स में शेयर किया. कुछ दिनों बाद शेख को कुर्ला, मुंबई में रह रही हमीदा बानो की बेटी यासीन बशीर शेख का पता मिला.
यासमीन बशीर शेख ने भी बताया कि उनकी मां हमीदा बानो 2002 में एक एजेंट के ज़रिए दुबई में काम करने के लिए गई. एजेंट की वजह से वो दुबई की बजाए पाकिस्तान पहुंच गई. यासमीन ने बताया कि उन्हें अपनी मां के बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं थी. न ही उन्हें ये पता था कि हमीदा पाकिस्तान पहुंच गई हैं. यासमीन ने बताया कि 2002 से पहले भी हमीदा काम के सिलसिले में कतर गई थी.
वलीउल्लाह मारूफ़ और खफ़लान शेख़ की कोशिशों की बदौलत हमीदा बानो ने सालों बाद अपने परिवार के साथ वीडियो कॉल पर बातचीत की.
हमीदा के पास न पैसे हैं और न ही पासपोर्ट. भारत में उनका परिवार उन्हें वापस लाने की कोशिशों में लगा है. हम उम्मीद करते हैं कि हमीदा जल्द ही अपने परिवारवालों से मिले.