इनके पास है पोर्टुलाका की 100 किस्में, सोशल मीडिया के ज़रिए देशभर में बांटते हैं पौधे

अपने घर में तो पौधे सभी लगाते हैं। लेकिन कुछ ही लोग होते हैं, जो अपने आस-पास की जिम्मेदारी लेकर हरियाली फ़ैलाने का काम करते हैं। ऐसे ही एक शख़्स हैं अंकलेश्वर (गुजरात) के रहनेवाले दीपक प्रजापति, जिनके घर में पोर्टुलाका की 100 किस्में हैं। 

दीपक देशभर से पौधे इकट्ठा करके, सिर्फ अपने घर के गार्डन को ही नहीं, बल्कि पूरे गांव को हरा भरा बना रहे हैं। 

उन्हें पौधों से बेहद लगाव है, इसलिए वह बचपन से ही पौधे लगाते आ रहे हैं। पहले उन्हें जामुन, आम, नीम, आवंला के बीज से पौधे तैयार करना, उसे बड़ा होते देखना,  एक प्रयोग की तरह लगता था।  धीरे-धीरे यह प्रयोग इतना बढ़ गया कि यही उनकी हॉबी भी बन गया।

द  बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया, “जब मैं तीसरी कक्षा में पढ़ता था, तब से पौधे लगा रहा हूँ। गांव में मुझे जहां जगह मिलती थी, वहां अलग-अलग बीज मिट्टी में डाल देता था। गांव के एक मंदिर में मैंने अब तक सैकड़ों पौधे लगाए हैं और आज मेरे घर पर पोर्टुलाका की 100 किस्में हैं।”

दरअसल, दीपक मूल रूप से भरुच के वलिया गांव से ताल्लुक रखते हैं। उनका पूरा परिवार भी वहीं रहता है, लेकिन वह अपनी नौकरी के कारण कुछ साल पहले अंकलेश्वर आकर बस गए थे। उनका गांव यहां से 82 किमी दूर है, लेकिन आज भी वह वहां नियमित रूप से कुछ न कुछ पौधे लगाते ही हैं।  

शहर से पौधा तैयार करके गांव में लगाते हैं दीपक 

दीपक ने आईटीआई की पढ़ाई करने के बाद, अंकलेश्वर की एक फार्मा कंपनी में काम करना शुरू कर दिया। यहां वह किराए के घर में रहते हैं। लेकिन पौधों से लगाव के कारण उन्होंने यहां भी घर की छत और आस-पास लिली, पोर्टुलाका,  अपराजिता, पर्दा वेल सहित कई पौधे लगाए हैं। इसके अलावा, वह यहां अंजीर, अनानास, काजू आदि के पौधे तैयार करके गांव में लगाते हैं। 
इस तरह से उन्होंने अपने गांव में एक से बढ़कर एक पौधे लगाए हैं, जिनकी देखभाल का भी वह विशेष ध्यान रखते हैं। उन्होंने बताया, “गांव में मेरे दोस्तों और मेरी दादी से मैं नियमित रूप से पौधों की अपडेट लेता रहता हूँ।” हाल में ही उन्होंने सिंदूर के कुछ पौधे भी तैयार करके गांव में लगाए हैं। 

दीपक को फूलों से बेहद लगाव है। जब वह दसवीं कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने गुलाबी रंग के पोर्टुलाका का एक पौधा लगाया था। उन्होंने बताया कि रविवार के दिन उनके स्कूल में सरकारी नर्सरी से पौधे मंगाए जाते थे और बच्चों से पौधारोपण का काम कराया जाता था। उस दौरान उन्होंने पहली बार पोर्टुलाका का पौधा लगाया था।  

इसके बाद उन्हें यह फूल इतना अच्छा लगा कि उन्होंने इसके अलग-अलग रंग के पौधे जमा करना शुरू किया। पहले तो वह आस-पास के गांव से ही पौधे खोज कर लाते थे, लेकिन बाद में वह सोशल मीडिया के ज़रिए अलग-अलग शहरों से पौधे मंगवाने लगे। उन्होंने गुजरात के अलग-अलग शहरों के साथ, केरल से भी कई किस्म और रंगों के पोर्टुलाका के पौधे मंगवाकर लगाए हैं।  

अब लोगों को मुफ्त में देते हैं पौधे 

इन फूलों को दीपक सिर्फ अपने घर में नहीं, बल्कि सार्वजनिक जगहों पर भी लगाते हैं। उन्होंने बताया, “यह पौधा बड़ी आसानी से कहीं भी उग जाता है, इसलिए मैं ऐसी जगह चुनकर पौधा लगाता हूँ,  जहां राहगीरों की नज़र पड़े और उन्हें एक सुखद अनुभव मिले। अभी उनके पास पोर्टुलाका की 100 किस्में मौजूद हैं।   

हरियाली के शौक़ीन दीपक सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं और जो पौधा उन्हें पसंद होता है, उसे कहीं न कहीं से खोज ही लेते हैं।  इतना ही नहीं वह अपने पास मौजूद पौधों को भी मुफ्त में बांटते हैं।  

दीपक ने बताया, “हाल में मैं सिर्फ गुजरात में ही लोगों को पौधे दे रहा हूँ और ज्यादातर लोग मुझसे पोर्टुलाका की किस्में ही मांगते हैं, जो मैं फ्री में ही उन तक भेज देता हूँ।”

यह फूल अपनी स्पेशल टाइमिंग के साथ-साथ, खूबसूरती के कारण सबको खूब पसंद आता है। दीपक ने बताया कि अगर आपके पास यह पोर्टुलाका का पौधा है, तो आप इसमें प्याज के छिल्के की खाद ज़रूर  डालें। वह खुद भी इन पौधों में इस खाद का इस्तेमाल करते हैं।   

इसके अलावा, आप भी दीपक से कुछ पौधे मंगवाने या किसी तरह की जानकारी के लिए उन्हें फेसबुक पर सम्पर्क कर सकते हैं।