यूरोपियन एक्सप्लोरर जैकब रॉकडेविन अपनी बोट से ईस्टर संडे को पहुंचे थे यहां \
हमारी दुनिया (World) का हर कोना रहस्यों से घिरा हुआ है। जल, थल और वायु में कौन सा रहस्य छिपा हो, कुछ कहा नहीं जा सकता है। आज हम आपको दुनिया के एक ऐसे ही कोने तक ले जा रहे हैं। हर पत्थरों की बड़ी-बड़ी मूर्तियां ही मूर्तियां हैं। इसे मूर्तियों का आइलैंड (Island) कहा जाता है। यह आइलैंड दक्षिण अमेरिका (South America) में एंडीज पर्वत और प्रशांत महासागर के बीच स्थित देश चिली में है। आइए जानते हैं इन मूर्तियों के पीछे का रहस्य…
ऐसे पता चला इस आइलैंड का
इस आइलैंड के बारे में तब पता चला, जब 1722 में एक यूरोपियन एक्सप्लोरर जैकब रॉकडेविन (Jacob Rockdevin) अपनी बोट से यहां पहुंचे। जिस दिन वे यहां पहुंचे थे, उस दिन ईस्टर संडे था। इसी वजह से इस आइलैंड का नाम ईस्टर आइलैंड (Easter Island) रख दिया गया। उन्हें पहले यहां कुछ मूर्तियां दिखीं, जो समंदर की ओर पीठ खड़े की हुई थीं, लेकिन जब वे इस आइलैंड को एक्सप्लोर करने लगे तो यहां सैकड़ों ऐसी मूर्तियां दिखीं। यहां बनी रहस्यमय मूर्तियों को मोई कहा जाता है। यहां सबसे लंबी मूर्ति 33 फीट की है, जिसका वजन करीब 90 हजार किलो है। खास बात ये है कि ये मूर्तियां देखने में लगभग एक जैसी ही हैं। बताया जाता है कि ये मूर्तिंया 13वीं से 15वीं सेंचुरी की हैं।
बताया जाता है कि पत्थर की ये मूर्तियां इतनी मजबूत हैं कि किसी हथौड़े से ठोके जाने के बावजूद इन मूर्तियों को खासा नुकसान नहीं पहुंचता। जैकब रॉकडेविन को मूर्तियों के अलावा इस आइलैंड पर इंसान नहीं नजर आए। पहले एक भ्रम ये था कि इस आइलैंड पर सैकड़ों साल पहले एलियंस (Aliens) आए होंगे और उन्होंने ही ये मूर्तियां बनवाई होगी। हालांकि ऐसा कुछ नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन मूर्तियों को रापा नुई कहे जाने वाले लोगों ने वर्ष 1250 से लेकर 1500 के बीच बनाया था। कहा जाता है कि वे इन्हें अपने पूर्वजों की याद और सम्मान में बनाते थे। हालांकि बाद में इस द्वीप पर रहना रापा नुइयों (Rapa Nuis) के लिए जब मुश्किल हो गया तो वे यह द्वीप छोड़कर चले गए। बहरहाल आर्कियोलॉजिस्ट (Archaeologist) इस आइलैंड के रहस्यों की गुत्थी सुलझाने में लगे हैं।