उम्मीद की मशाल: लावारिस गोवंश की मददगार बनीं शिमला के ठियोग की आरती

रामपुर के नोगली में गोशाला बनाकर गो सेवा की शुरुआत करने के बाद अब रतनपुर, दत्तनगर सहित आधा दर्जन अन्य स्थानों पर गोशालाएं चला रही हैं। आरती से प्रेरणा लेकर अब क्षेत्र के अन्य लोग भी गो सेवा में जुट गए हैं।लावारिस गोवंश की मददगार बनीं  ठियोग की आरती।

हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के ठियोग की धरेच पंचायत के पाली गांव की रहने वाली आरती ने छह साल पहले गो सेवा की ऐसी अलख जगाई कि लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया। बीते छह सालों से आरती ने खुद को गो सेवा के लिए समर्पित कर दिया है। रामपुर के नोगली में गोशाला बनाकर गो सेवा की शुरुआत करने के बाद अब रतनपुर, दत्तनगर सहित आधा दर्जन अन्य स्थानों पर गोशालाएं चला रही हैं। आरती से प्रेरणा लेकर अब क्षेत्र के अन्य लोग भी गो सेवा में जुट गए हैं।

सर्दियों के मौसम में गोवंश सड़कों पर ठंड में न ठिठुरे, इसके लिए हर साल बर्फबारी से पहले इन्हें गोशालाओं तक पहुंचाने का अभियान चलाती हैं। ट्रकों के जरिये गोवंश को गोशालाओं तक पहुंचाती हैं। गाोशाला में गोवंश के इलाज के अलावा चारे और फीड का भी बंदोबस्त कर रही हैं। आम लोग भी इस काम में अब आरती का साथ दे रहे हैं। जैसे ही कहीं गोवंश के सड़कों पर घूमने या चोटिल होने की खबर मिलती है, आरती पूरी तैयारी के साथ मौके पर पहुंच जाती हैं। प्राथमिक उपचार देने के बाद अपने खर्चे पर गोवंश को गोशाला तक पहुंचाती हैं। 

गोवंश को लावारिस न छोड़ें, हमें बताएं 
आरती कहती हैं कि बीते छह सालों में बहुत से लोग उनके साथ जुड़े हैं। गोवंश के प्रति लोगों की सोच बदल रही है, यही उनकी उपलब्धि है। लोगों से बस यही आग्रह है कि गोवंश को लावारिस न छोड़े हमें बताएं, हम उनका ख्याल रखेंगे। भगवान ने हमें इस काम के लिए चुना है, यह हमारा सौभाग्य है।