देहरादून के रजत शर्मा के घर पर प्राचीन काल के सिक्कों, विभिन्न देशों की मुद्राओं और अरब-खरब के नोटों का इतना बड़ा खजाना है जो अब उनके घर में भी नहीं समा पा रहा है। कई संग्रहालयों के लोग उनसे सिक्के और नोट दान स्वरूप देने का आग्रह कर चुके हैं लेकिन अपने इस कलेक्शन को वे किसी को भी देने से साफ इंकार कर देते हैं। वे स्कूलों में प्रदर्शनी लगा कर बच्चों को अपनी धरोहरों के प्रति जागरूक करने के लिए काम करना चाहते हैं।

छह साल की उम्र में मिला पहला दो आने का सिक्का

देहरादून के तिलक रोड पर रहने वाले रजत शर्मा के पास प्राचीन सिक्कों और नोटों का संग्रह है। रजत शर्मा के अनुसार वर्ष 1975-76 में जब वे छह साल के थे तब उनके दादा स्व राम प्रसाद शर्मा ने उनको ब्रिटिश ऐरा का दो आने का सिक्का दिया था। तब बालपन में उन्होंने वह सिक्का संभाल कर रख लिया था लेकिन यही बाद में उनका शौक बन गया। धीरे-धीरे उनका यह शौक जुनून में बदल गया और वे सिक्के एकत्रित करने के लिए जुट गए।
सम्राट अशोक से लेकर मुगल शासकों की मुद्राएं हैं

रजत शर्मा के पास मौर्य वंश के सम्राट अशोक (ईसा पूर्व 304 से ईसा पूर्व 232) के कार्यकाल में गढ़े गये पंचमार्का सिक्कों की भरमार है तो मुगल, बादशाह अकबर की सल्तनत में गढ़े गये गोल और चौकोर सोने व चांदी के सिक्के भी हैं। कई रियासतों के तांबे के सिक्के भी सहेज कर रखे गये हैं।
500 का रूबल

दिल्ली में सल्तनत चलाने वाला शम्सुद्दीन इल्तुतमिश, जहांगीर, औरंगजेब, महाराजा रणजीत सिंह, कश्मीर की शासिका दीद्दा रानी, जैसलमेर रियासत, ब्रिटिशकालीन, सामंत देव के शासन, राजस्थाना की अलग-अलग रियासतों के रसीदी टिकटों, सिक्कों का संग्रेह है। इंडोनेशिया का भगवान गणेश की फोटो वाला नोट भी उनके पास है।
कश्मीरी रियासत के सिक्के

उन्होंने बताया कि मुगल शासक अकबर, इल्तुतमिश के सिक्के एकत्र करने में उन्हें सबसे ज्यादा समय और मशक्कत लगी। इनके लिए उनका खर्चा भी लगभग दो से ढाई लाख तक चला गया था। जब वे खुद कमाने लगे थे तो फिर उन्होंने पैसों की परवाह भी नहीं की।
महाराजा रणजीत सिंह के सिक्के

इनके लिए उन्हें दिल्ली, आगरा और जैसलमेर में काफी मशक्कत करनी पड़ी। उनका कलेक्शन इतना अधिक है कि घर में जहां-तहां बस सिक्के या अन्य संग्रह ही देखा जा सकता है। उनके पास इनके अलावा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की दुर्लभ तस्वीरों का कलेक्शन भी है।
एक अरब तक का नोट

उनके पास वेनेजुएला, रशिया के बीस हजार से लेकर पांच अरब, एक खरब तक के नोट हैं। एक नोट तो काफी बड़े साइज का है जिसको देख कर कोई भी आश्चर्यचकित हो सकता है। ढाई रुपये भी रखे हैं।
हैदराबाद के निजाम के सिक्के

रजत शर्मा बताते हैं कि उनके पास इतने सिक्के हैं कि कभी किसी खास सिक्के के बारे में याद आता है तो उसको ढूंढने में ही एक से डेढ़ हफ्ते का समय लग जाता है। वे एक संग्रहालय बनाना चाहते हैं लेकिन अभी नौकरी की वजह से वे इस काम को नहीं कर रहे हैं। सिक्कों व अन्य संग्रह को सहेजने और संरक्षित करने में घर में जगह कम पड़ रही है।
ऐसी होती है एक पाई

रजत शर्मा के अनुसार दूर-दूर से लोग उनका कलेक्शन देखने के लिए आते हैं। कोई दूसरे राज्य से आ जाए तो कोई खास सिक्का दिखाने के लिए भी उसको ढूंढना पड़ता है। अब उनका विचार स्कूलों में प्रदर्शनी लगा कर बच्चों को अपनी धरोहरों के प्रति जागरूक करना है।