ऐसा बाजार जो सिर्फ महिलाएं चलाती हैं, मार्केट से सस्ता मिलता है सब सामान; जानें खासियत

दयाशंकर शर्मा, (धौलपुर). यूं तो समय के साथ समाज ने काफी विकास किया है. लेकिन, आज भी कई लोग महिलाओं को सिर्फ घर की चारदीवारी के काबिल ही समझते हैं. समाज की इसी मानसिकता पर धौलपुर जिले की महिलाओं ने प्रहार किया है. जिले में 8 वीं और 10 वीं कक्षा तक पढ़ी महिलाओं ने लाखों रुपये का ऐसा बाजार खड़ा कर दिया है, जहां सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं. यहां जूते-चप्पल से लेकर घर-गृहस्थी का हर सामान मिलता है. खास बात यह है कि यहां दुकानदार भी महिलाएं ही हैं.

यहां हम बात कर रहे हैं ‘सहेली सुपर मार्केट की,’ जो धौलपुर जिले के सैंपउ उपखंड के बसई नवाब कस्बे में सैंपऊ रोड पर स्थित है. इस बाजार में 12 दुकाने हैं. इनमें जूता-चप्पल, रेडीमेड कपड़े, साड़ी, चूड़ी-कंगन, कॉस्मेटिक, सिलाई, किराना, फल-सब्जी, स्टेशनरी, दोना-पत्तल सहित रोजमर्रा के सामानों की दुकानें शामिल हैं. इन सभी 12 दुकानों को महिलाएं ही चलाती हैं. वह सामान बेचकर अपने घर परिवार को बेहतर तरीके से चलाती हैं.

आर्थिक स्थिति हो रही मजबूत
बता दें, इस बाजार का उद्घाटन इसी साल 13 मई को धौलपुर के तत्कालीन कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल और उनकी पत्नी विनीता जयसवाल ने किया था. इस बाजार में दुकान लगाने वाली सभी महिलाएं ग्रामीण हैं और उन्होंने 8वीं-10वीं कक्षा तक पढ़ाई की है. बताया जाता है कि पहले इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. लेकिन, अब ये इन दुकानों से अच्छा खासा कमा रही हैं. उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी होने से इनके परिजन भी खुश हैं. इन दुकानों के दम पर ही ये ग्रामीण महिलाएं अपने बच्चों को अच्छे निजी स्कूलों में पढ़ा रही हैं.

बचत भी कर रहीं महिलाएं
इस बाजार का शुभारंभ सहेली प्रगति महिला सर्वांगीण विकास सहकारी समिति लिमिटेड, बसई नवाब ने कराया था. इसके लिए समिति ने सभी महिलाओं को 1-1 लाख रुपए का लोन नाम मात्र की ब्याज पर दिया. इसके अलावा मंजरी फाउंडेशन ने भी महिलाओं को 25- 25 हजार रुपए का लोन बिना ब्याज के दिया. इसके बाद बाकी की रकम महिलाओं ने खुद लगाई। अब ये महिलाएं इन दुकानों से कमाई कर लोन की किस्त भी चुका रही हैं और बचत भी कर रही हैं.

आधुनिक सुविधाओं से युक्त जिले का पहला बाजार
इस बाजार की खास बात है कि यह आधुनिक सुविधाओं से लैस है. यहां ग्राहकों की टू-व्हीलर और फॉर व्हीलर के लिए पर्याप्त पार्किंग है. इसके अलावा यहां गार्डन, पीने के लिए वॉटर कूलर का ठंडा पानी, दिल्ली के चांदनी चौक की तर्ज पर ग्राहकों के बैठने के लिए पत्थर की बड़ी-बड़ी टेबल-कुर्सियां, शौचालय जैसी सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं. यहां शाम के समय रंगीन फव्वारा चलाया जाता है और लाइटिंग की जाती है. इससे बाजार में चार चांद लग जाते हैं. इस वजह से यह धौलपुर जिले का पहला आधुनिक बाजार है.

दूसरे बाजारों से कम कीमत और शुद्ध सामान
बाजार की मैनेजर रवीना सेंपल, निवासी नगला हरलाल बसई नवाब ने बताया कि महिलाओं के इस बाजार में अन्य बाजारों की तुलना में सामान सस्ता मिलता है. क्योंकि वे अन्य दुकानदारों की अपेक्षा कम मुनाफा कमाती हैं. इसके अलावा महिलाएं कैमिकल रहित सामान भी बेचती हैं. इनमें दाल, शहद, गाय-भैंस का शुद्ध देसी घी, मसाले, मावा और पनीर शामिल हैं. ये प्रोडक्ट कटोरी फ्रेश के नाम से बाजार में बेचे जाते हैं. न भी बेचती हैं. इनमें जार है. र्सियां, रही हैं और बचत भी कर रही हैं.  गए. सके बारे में कोई कुछ कह नहीं रहा. गांव के बाहर भी यहां की मैनेजर रवीना और दुकानदार महिलाओं का दावा है कि उनके प्रोडक्ट 100 फीसद शुद्ध हैं. इनमें किसी भी तरह की कोई मिलावट नहीं है.

8वीं-10 वीं पढ़ी 3 महिलाओं की सोच से सपना साकार
आपको बता दें इस बाजार को खड़ा करने के पीछ महज 8वीं और 10वीं तक पढ़ी तीन ग्रामीण महिलाओं की सोच है. इस सोच को फलीभूत करने में मंजरी फाउंडेशन के निदेशक संजय शर्मा का महत्वपूर्ण योगदान है. उनकी वजह से आज धौलपुर जिले के सैकड़ों परिवार अच्छा जीवन गुजार रहे हैं. सहेली सुपरमार्केट का संचालन ‘सहेली प्रगति महिला सर्वांगीण विकास सहकारी समिति लिमिटेड बसई नवाब’ की ओर से किया जाता है. इस समिति की अध्यक्ष मधु परमार, उपाध्यक्ष सरोज देवी हैं और कोषाध्यक्ष दसवीं कक्षा तक पढ़ी श्रीमती देवी हैं.

कल्पना बदली बास्तविकता में
समिति की अध्यक्ष मधु परमार ने बताया कि वर्ष 2016 में वे महिला समूह से जुड़ीं और गांव में ही घर पर छोटे-मोटे काम किए. इसके बाद इस समूह से अन्य महिलाएं भी जुड़ीं. वह भी गांव में छोटे-मोटे काम करती थीं. इस बात को लेकर एक दिन मन में विचार आया कि क्यों न सभी मिलकर बाजार में अच्छा और बड़ा काम करें. उन्होंने इस विचार से मंजरी फाउंडेशन के निदेशक संजय शर्मा को अवगत कराया. उसके बाद बात आगे बढ़ती गई और धीरे-धीरे कल्पना वास्तविक रूप लेकर सहेली सुपर मार्केट में बदल गई.