कभी डाकू ठोकिया का था खौफ, अब कोल्हुआ का जंगल बना सैलानियों के लिए दिलकश जगह, जानिए पहुंचें कैसे?

उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा में फतेहगंज थाना क्षेत्र में स्थित कोल्हुआ का जंगल है। चित्रकूट के सीमावर्ती इस जंगल में पहाड़ भी है। इस जंगल का नाम आते ही लोगों के जहन में सिर्फ डकैतों के नाम का खौफ जिंदा हो जाता है।

Thokiya
बांदा: जिस जंगल में डाकू ठोकिया अपने गैंग के साथ विचरण करता था और उसके साथी डकैत अपनी बंदूकों से निशाना लगाना सीखते थे, अब वही जंगल डकैतों से मुक्त है। कल-कल बहते झरने और पंछियों का कलरव सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है, लेकिन ठोकिया के मारे जाने के बाद भी लोग अभी भी भय मुक्त नहीं हुए हैं। अभी भी लोग इस जंगल में जाने से कतराते हैं।
इसी जंगल में ठोकिया ने एसटीएफ के 6 जवानों की हत्या की थी
उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा में फतेहगंज थाना क्षेत्र में स्थित कोल्हुआ का जंगल है। चित्रकूट के सीमावर्ती इस जंगल में पहाड़ भी है। इस जंगल का नाम आते ही लोगों के जहन में सिर्फ डकैतों के नाम का खौफ जिंदा हो जाता है। इसी खौफ के कारण ही बदमाशों के सफाया हो जाने के बाद भी लोग यहां आने से डरते हैं। यह जंगल डाकू ठोकिया की शरण स्थली था। जहां रहकर ठोकिया पुलिस को भी चुनौती देता था। यह वही जंगल है, जहां ठोकिया ने एसटीएफ के 6 जवानों को घेरकर मार डाला था।

कुदरत का अप्रतिम सौंदर्य
जंगल की भीनी खुशबू, अप्रतिम सौंदर्य का अहसास देखकर आप कह उठेंगे वाह प्रकृति तेरे इतने सुंदर रूप। जहां प्रकृति की खामोशी के बीच अगर आपको कुछ सुनाई देता है तो वह कुदरत का कलरव। नदियों की, झरनों की, जंगल में लगे हजारों पेड़ों के अनगिनत पत्तों की, इन पेड़ों पर बने घोंसलों में अपने परिवार के साथ बतियाते पक्षियों की, जिन्हें सुनकर सुकून मिलता है। यहां विचरण करते वन्य जीव कभी डराते हैं तो कभी रोमांच पैदा करते हैं। दूर-दूर तक घने जंगलों में हजारों पेड़ों के बीच विचरण करना प्रकृति प्रेमियों के लिए सबसे खुशनुमा अहसास है। यहां पर पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। जरूरत है तो सिर्फ प्रकृति और कुदरत की अनुपम कृति को सैलानियों तक पहुंचाने की।

इस तरह पहुंचें जंगल
इसी क्षेत्र के पत्रकार हरीओम बाजपेई बताते हैं कि इसी जंगल में चंदेलकालीन शासनकाल में बना बिल्हारिया मठ खजुराहो शैली का है। यह मठ अपने आप में नायाब है। पुरातत्व विभाग के संरक्षण में यह मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। यहीं संकरो जल प्रपात हैं, जो बदौसा से लगभग 25 किमी व फतेहगंज से 8 किमी दूर गोबरी गोड़रामपुर से लगभग 5 किमी पैदल चलकर इस प्राकृतिक स्थल के सौंदर्य का नजारा लिया जा सकता है। कोल्हुआ के जंगल में वह कुंड है, जिससे बाणगंगा नदी का उद्गम हुआ है।