आज के न्यू एज पैरेंट्स को बच्चों की परवरिश को लेकर कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हर पैरेंट्स चाहते हैं कि वो अपने बच्चे को सब कुछ बेस्ट दें लेकिन फिर भी कहीं न कहीं चूक हो जाती है और उन्हें पछताना पड़ता है। इस मामले में अनुभवी लोगों की सलाह बहुत काम आ सकती है।शायद ही ऐसे कोई पैरेंट्स होंगे, जो इस बात से सहमत नहीं होंगे कि बच्चों को अच्छी परवरिश देने के लिए दिन-रात काम करना पड़ता है। इसमें आर्थिक रूप से काम करना ही मायने नहीं रखता बल्कि अपने बच्चे का बेहतर व्यवहारिक विकास करने के लिए आपको कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। अगर इस काम में आप चूक गए, तो बच्चे का पूरा फ्यूचर खराब हो सकता है। इसलिए ही अक्सर पैरेंट्स पेरेंटिंग टिप्स की तलाश में रहते हैं जिसकी मदद से वो अपने बच्चों और अच्छी परवरिश दे सकें।
इंफोसिस के सह-संस्थापक एन-आर नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति ने बच्चों को अच्छे से पालने के लिए कुछ टिप्स दिए हैं। सुधा जी एक इंजीनियर, एक सामाजिक कार्यकर्ता के साथ देश में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक – पद्म श्री से सम्मानित की जा चुकी हैं। सुधा जी के दो बच्चे हैं और उनकी पेरेंटिंग आज के पैरेंट्स के बहुत काम आ सकती है। उनकी पेरेंटिंग एडवाइस से आप अपने बच्चे को मॉडर्न के साथ-साथ ट्रेडिशनल सीख दे सकते हैं। तो चलिए जानते हैं कि इतनी सम्मानित और अनुभवी सुधा मूर्ति जी आज के जमाने के पैरेंट्स को क्या सलाह दे रही हैं।
हर रिश्ते की तरह बच्चों और पैरेंट्स के रिश्ते में भी एक-दूसरे के स्पेस का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा न हो कि पैरेंट्स अपने बच्चे के हर मामले में दखल दें या बच्चा अपने हर छोटे-बड़े फैसले के लिए अपने पैरेंट्स पर निर्भर रहे।सुधा जी कहती हैं कि स्पेस देने से बच्चे अपने निर्णयों, पसंद और नापसंद को लेकर चौकन्न रहते हैं।हर रिश्ते की तरह बच्चों और पैरेंट्स के रिश्ते में भी एक-दूसरे के स्पेस का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा न हो कि पैरेंट्स अपने बच्चे के हर मामले में दखल दें या बच्चा अपने हर छोटे-बड़े फैसले के लिए अपने पैरेंट्स पर निर्भर रहे।सुधा जी कहती हैं कि स्पेस देने से बच्चे अपने निर्णयों, पसंद और नापसंद को लेकर चौकन्न रहते हैं।
एक किस्से के बारे में जिक्र करते हुए सुधा जी ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे से कहा कि वो अपने जन्मदिन की पार्टी पर 50 हजार रुपए खर्च करने की बजाय एक छोटी पार्टी करे और बाकी के पैसे अपने ड्राइवर के बच्चों की पढ़ाई के लिए दे दे।सुधा जी कहती हैं कि ‘पहले तो उनके बेटे ने इसके लिए इनकार कर दिया लेकिन तीन दिन के बाद वो मान गया। उन्होंने बताया कि कुछ सालों बाद उनका बेटा अपनी स्कॉलरशिप लेकर खुद आया और बोला कि इन्हें 2001 में पार्लियामेंट अटैक में शहीद हुए जवानों के परिवारों की मदद में लगा दें।’बच्चों को पैसा, दया, प्यार और आशा बांटने का विचार सिखाना बहुत जरूरी है। इससे वह हर किसी को एक बराबर समझते हैं।
एक इंटरव्यू में सुधा जी ने कहा था कि पैरेंट्स को हर समय अपने बच्चे पर ध्यान नहीं देना चाहिए। उसे हर काम में अव्वल आने का प्रेशर न दें। उसे खुद सोचने दें कि वो क्या चाहता है और क्या कर सकता है। अगर आप चाहते हैं कि वो पढ़ाई करे, तो अपना फोन या टीवी बंद करें और उसके सामने किताब लेकर पढ़ना शुरू कर दें। आपको देखकर वो खुद भी पढ़ने लग जाएगा। उस पर दबाव बनाने की बजाय उन चीजों को पहले खुद करें, जो आप बच्चे से करवाना चाहते हैं।