मोहित शर्मा /करौली. राजस्थान के करौली में भगवान हनुमान का एक अनोखा मंदिर है. यहां बैठक मुद्रा में भगवान हनुमान की प्रतिमा विराजित है. राजस्थान में संभवत: यह एकलौती प्रतिमा है, जो बैठे की मुद्रा में है. करौली के वरिष्ठ इतिहासकार वेणु गोपाल शर्मा ने बताया जब महाराज गोपाल सिंह अपने राज महल रावल में अखाड़े की गुड़ाई करवा रहे थे, तब यह प्रतिमा अखाड़े की जमीन से निकली, जिसको महाराज गोपाल सिंह मंडरायल दुर्ग में स्थापित करने की घोषणा की.
इतिहासकार शर्मा के मुताबिक जब इस प्रतिमा को बैलगाड़ी द्वारा ले जाया जा रहा था, तब बैलगाड़ी के पहिए टूट गए, जिसके कारण इस प्रतिमा को महाराज गोपाल सिंह जी की माता द्वारा निर्मित प्राचीन शिवालय के प्रवेश द्वार पर स्थापित किया गया. तब से अब तक इसकी पूजा निरंतर की जाती है. क्षेत्र में यह प्रतिमा लोगों के लिए आस्था का विषय है. बड़ी संख्या में क्षेत्रीय श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.
मंदिर की प्रमुख विशेषताएं
जमीन पर बैठे हनुमान जी की विशाल प्रतिमा इस मंदिर में विराजमान है. इस प्रतिमा की बाईं ओर गणेश जी की प्रतिमा विराजमान हैं. इस मंदिर की प्रमुख विशेषता यह हैं कि यहां पर पूजा अर्चना स्थानीय लोगों द्वारा की जाती है. बैठे हनुमान जी की सप्ताह के प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को नवीनतम चोला के साथ आरती एवं हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है. हर वर्ष यहां शरद नवरात्रि के अवसर पर रामायण का अखंड पाठ होता है और अन्नकूट भंडारा महोत्सव होता है, जिसमें हनुमान जी का बाजरा, कड़ी, चावल एवं मिली जुली सब्जी का प्रसाद लगाया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु प्रसादी प्राप्त करते हैं. यहां पर प्राचीन शिवालय होने के कारण सावन माह के प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग की भस्म श्रृंगार आरती की जाती है.