कलम और बंदूक का कोई मेल नहीं हो सकता. जिन हाथों ने कलम उठा ली वो बंदूक भला कैसे उठा सकते हैं लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि 20वीं सदी का सबसे खतरनाक हथियार मानी जाने वाली AK-47 रायफल उन हाथों ने बनाई थी जिन हाथों ने कलम पकड़ कर सैकड़ों कविताएं लिखीं.
AK-47 बनाने वाले मिखाइल कौन?
हम यहां बात कर रहे हैं मिखाइल कलाश्निकोव की, यही वो शख्स थे जिन्होंने दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली AK-47 रायफल बनाई थी. AK-47 में A का मतलब है एवटोमेट यानी मशीन और K का अर्थ है कलाश्निकोवा. जी हां, इस रायफल में K नाम इसे बनाने वाले मिखाइल कलाश्निकोव के नाम पर ही रखा गया था.
हो गए थे बुरी तरह घायल
1919 में सोवियत संघ के कुर्या में जन्मे मिखाइल वैसे तो एक शानदार रायफल बनाने के लिए जाने गए लेकिन दिल से वो हमेशा एक कवि रहे. उन्हें मशीनें और कविताएं दोनों से बेहद प्यार था.
मात्र 19 साल के मिखाइल मशीनों से लगाव के कारण बतौर टैंक मैकेनिक रूसी सेना में भर्ती हुए. सेना में रहते हुए वह उस दौरान बुरी तरह घायल हो गए थे जब दूसरे विश्व युद्ध के समय 1941 में हिटलर ने सोवियत संघ पर हमला किया था. इस हमले में 88 लाख से अधिक सैनिकों मारे गए थे. जिसमें मिखाइल के टैंक में भी आग लगी और वह बुरी तरह घायल हो गए थे.
दुनिया की सबसे खतरनाक रायफल
इस हमले के बाद जब वह घायल अवस्था से उबरे तो उन्होंने हथियार बनाना शुरू किया. ये सन 47 की साल था जब मात्र 28 साल के मिखाइल ने AK-47 जैसी खतरनाक रायफल बना दी. 1947 में बनने के कारण ही इस रायफल के साथ 47 नंबर जोड़ा गया. फुल ऑटोमेटिक सेटिंग के साथ एक मिनट में 600 राउंड फायर कर सक्ने वाली इस रायफल का लोहा पूरी दुनिया ने माना.
इस रायफल से एक मिनट में 600 राउंड फायर किए जा सकते हैं. इस हथियार को बनाने के बाद बहुत जगह मिखाइल की आलोचना भी हुई. उनसे एक बार ये सवाल भी पूछा गया कि उनके बनाए हथियार से हजारों लोगों की जान जाती है, ये सोचकर उन्हें नींद कैसे आती है. इस पर मिखाइल ने बड़ी बेफिक्री से जवाब दिया था ‘मैं बहुत अच्छे से सोता हूं, धन्यवाद.’
अंतिम समय में था अफसोस
भले ही मिखाइल एक खतरनाक रायफल के लिए जाने गए लेकिन ये बात बहुत कम लोगों को पता चल पाई कि उनके अंदर एक कवि छुपा हुआ था. उन्होंने जीवनभर में इतनी कविताएं लिखीं कि उनकी सभी कविताओं को 6 किताबों में सहेजा गया. शायद अपने अंतिम दिनों में मिखाइल को इस बात का अफसोस था कि उन्होंने AK-47 के रूप में ऐसी रायफल बना दी है जिसे तबाही के रूप में देखा जाता है.
यही कारण रहा होगा जो उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें फिर कभी कुछ बनाने का मौका मिला तो वह AK-47 से कम खतरनाक चीज बनाएंगे. उनका कहना था कि वह किसानों के लिए खास घास काटने की मशीन बनाना चाहते हैं. हालांकि अपना ये सपना पूरा करने से पहले ही मिखाइल 23 दिसम्बर 2013 में इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए.