किसान आधुनिक होगा और व्यवसायिक खेती की ओर अग्रसर होगा तो किसान की आय दोगुनी ही नहीं बल्कि कई गुनी बढ़ेगी और वह संपन्न होगा. यह बात राजस्थान के दौसा के खवारावजी में रहने वाले किसान बाबूलाल शर्मा ने सही साबित की है. दौसा जिला कलेक्टर कमर जमान चौधरी फार्म पौण्ड और पॉली हाउस की विजिट करने के लिए खवारावजी गांव में पहुंचे. कलेक्टर ने पॉलीहाउस का अवलोकन किया और वहां लगाई गई खीरे की खेती को देखी. पॉली हाउस में भारी मात्रा में खीरे का उत्पादन हो रहा था. (पुष्पेन्द्र मीना की रिपोर्ट)
राजस्थान के दौसा जिला कलेक्टर कमर चौधरी ने जिला कृषि अधिकारी अशोक कुमार मीणा से पोली हाउस और फार्म पौण्ड के बारे में जानकारी ली. साथ ही खीरे के उत्पादन और इसके सार-सम्भाल के बारे में भी जानकारी ली. जब कलेक्टर ने किसान बाबूलाल शर्मा व विनेश जैमन से बात की तो सामने आया कि इन किसानों द्वारा पहले परंपरागत खेती के रूप में बाजरा और गेहूं का उत्पादन किया जा रहा था, जिसमें आमदनी ना के बराबर हो रही थी. आये दिन खर्च अधिक व उत्पादन कम होने से कर्ज भी बढ़ता जा रहा था.
दौसा के इन किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा आय दुगनी करने और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए व्यवसायिक खेती करने पर जोर दिया. खेती में नवाचार करने की प्रेरणा मिली और उसके बाद कृषि अधिकारी अशोक कुमार मीणा से जानकारी लेकर विभाग की योजनाओं का लाभ लेकर पॉलीहाउस लगाने का प्लान किया. इसके लिए खेत में पॉलीहाउस लगाया और केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत फार्म पौण्ड भी बनवाए.
इन फार्म पौण्ड में पोली हाउस की छत का पानी व आसपास के खेतों का पानी एकत्रित हुआ, जिससे अब पानी की किल्लत भी नहीं हो रही है और पोली हाउस में व्यवसायिक खेती के रूप में खीरे का उत्पादन किया जा रहा है. किसान द्वारा फार्म पौण्ड में एकत्रित पानी को बूंद – बूंद सिंचाई संयंत्र के माध्यम से खीरों के पौधों तक पानी पहुंचाया जाता है. सरकार की योजना से 2 फार्म पौण्ड बनवाने के बाद किसान ने एक फॉर्म पौण्ड अपने स्तर पर ही बना लिया.
अब किसान बाबूलाल के यहां 3 फार्म पोंड हैं और एक पॉलीहाउस है. 3 फार्म पॉन्ड में किसान द्वारा 40 लाख लीटर बारिश के पानी का संग्रहण किया जा रहा है. किसान बाबूलाल शर्मा ने गत वर्ष ही पोली हाउस लगाया था और 4 माह की पहली फसल में 18 लाख रुपए की आय प्राप्त की थी. अब बाबूलाल द्वारा दूसरी फसल की बुवाई के बाद उत्पादन लिया जा रहा है.