केरल: अलप्पुझा में चाय की गुमटी चलाकर गुजर बसर कर रही 91 साल की महिला, पढ़िए संघर्ष की कहानी

अलप्पुझा. केरल के अलप्पुझा जिले के देवीकुलंगारा गांव में 91 वर्षीय थंगम्मा एक अस्थायी गुमटी पर सुबह पांच बजे चाय बनाने के साथ रोजी-रोटी कमाने के लिए रोजमर्रा के अपने संघर्ष की शुरुआत करती हैं. उनके इस प्रयास में उनकी बेटी वसंतकुमारी उनकी सहायता करती हैं. उनकी दुकान से दोपहर दो बजकर 30 मिनट के बाद अलग-अलग स्वादिष्ट नाश्तों की सुगंध आती है. जिनमें विभिन्न प्रकार के वड़े से लेकर केले के पकौड़े शामिल होते हैं.

अलप्पुझा जिले के देवीकुलंगारा गांव में 91 वर्षीय थंगम्मा रोजी-रोटी कमाने के लिए गुमटी चलाती हैं. (फोटो malayalam.news18.com)

थंगम्मा ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि एक वाहन दुर्घटना में हमने सब कुछ खो दिया था. हमें दोबारा से सब कुछ शुरू करना पड़ा. पंचायत हमारी दुर्दशा के बारे में जानती है. हम उनकी अनुमति से यहां यह गुमटी चला रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा कि सुबह हम केवल चाय बेचते हैं. दोपहर दो या ढाई बजे के बाद हम नाश्ता बनाना शुरू करते हैं. शाम तक सब कुछ बिक जाता है. मैं अपनी दवा लेने के बाद रात नौ साढ़े नौ बजे तक दुकान बंद कर देती हूं. थंगम्मा ने बताया कि दिनभर में हम जितने पैसे कमाते हैं, उससे हमें पहले दूध के लिए भुगतान करना पड़ता है और फिर दूसरी दुकानों से खरीदी गई आपूर्ति के पैसे देने होते हैं. इसी तरह हम रोजाना गुजर-बसर करते हैं.

वह पिछले 17 साल से गुमटी चला रही हैं
उन्होंने कहा कि उनके गुमटी पर चाय, डिब्बा बंद दूध का उपयोग करके नहीं बनाई जाती है. इसके बजाय वह गाय के दूध का उपयोग करती हैं. 91 वर्षीय महिला ने कहा कि वह पिछले 17 साल से गुमटी चला रही हैं और इसके बिना वे भूखी मर जाएगी. उनके पास कोई घर या जमीन नहीं है और वह किराए के मकान में रहती हैं.

‘बच्चों के पास मेरी मदद करने के लिए कुछ भी नहीं’ 
वृद्ध महिला ने कहा कि पंचायत ने घर बनाने के लिए जमीन खरीदने के लिए एक निश्चित राशि आवंटित की है. लेकिन यह पर्याप्त नहीं है और उनके पास इसमें जोड़ने के लिए कोई पैसा नहीं है. चाय की दुकान से होने वाली कमाई के अलावा उनकी आय का एकमात्र अन्य स्रोत किसान को मिलने वाली 1,600 रुपये की पेंशन है. जिसका उपयोग वह दवाई आदि खरीदने के लिए करती हैं. उन्होंने नम आंखों से कहा बच्चों के पास मेरी मदद करने के लिए कुछ भी नहीं है.