कोई 5 बच्चों की मां, कोई DU की स्टूडेंट: दिल्ली में DTC बसों की कमान है इन महिला ड्राइवर्स के पास

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दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने पिछले साल ही महिला बस ड्राइवर्स शामिल किया है. अगस्त 2022 में महिला डीटीसी बस चालकों के पहले समूह की भर्ती की गई थी. अभी हाल ही में 13 नई महिला चालकों के दूसरे समूह की नियुक्ति की गई है. अब DTC के बेड़े में महिला चालकों की तादाद बढ़कर 34 हो गई है. इसकी जानकारी दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (DTC) के सीनियर मैनेजर नवनीत चौधरी ने दी है.

बता दें कि नए महिला ड्राइवरों में सिलेक्ट होने वाली महिलाओं में से कोई दिल्ली विश्विद्यालय की छात्रा रही हैं, तो कोई पांच बच्चों की मां हैं. किसी का संघर्ष दूसरों के लिए प्रेरित करने वाला है. 

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5 बच्चों की जिम्मेदारी के साथ दौड़ाएंगी DTC बस

डीटीसी बसों के लिए 13 नई भर्ती महिला चालकों में उत्तर प्रदेश के जौनपुर की रहने वाली 38 वर्षीय निर्मला देवी का भी नाम शामिल है. जो बुधवार को जॉइन करेंगी. उन पर अपनी चार बेटियों और एक बेटे को पालने की अकेली जिम्मेदारी है.

मीडिया से बातचीत के दौरान निर्मला बताती हैं कि वह सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक डीटीसी बस चलाएंगी. इसके बाद शाम को वो अपनी निजी टैक्सी चलाकर पैसे कमाएंगी. उनका कहना है कि मैं अपने घर की इकलौती कमाने वाली हूं. मुझे अपने बच्चों की परवरिश के लिए अतिरिक्त पैसों की जरूरत है.

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बेटी अब बनेगी मां का सहारा, घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं

हरियाणा के जींद की रहने वाली सोनिया के घर की माली हालत ठीक नहीं है. जिसकी वजह से वह अपनी पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाई थीं. उन्होंने हरियाणा महिला विश्वविद्यालय खानपुर का भी प्रतिनिधित्व किया है. वहीं उनकी मां उनके घर में इकलौती कमाने वाली सदस्य थीं. इसलिए उन्हें खेल के क्षेत्र को छोड़कर अपने परिवार का समर्थन करने के लिए नौकरी की तलाश करनी पड़ी. जब सोनिया 5 साल की थीं तभी से उनकी मां ने उन्हें अकेले ही पाला. अब वह डीटीसी बस चलाकर अपनी मां का सहारा बनेंगी.

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सिलाई मशीन के बाद अब सीधे हाथों में बस का स्टेयरिंग

महिला डीटीसी ड्राइवर रेखा कहती हैं, ‘सिलाई मशीन के बाद अब सीधे हाथों में बस का स्टेयरिंग. यह मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है. एक फाउंडेशन के बारे में जानकारी मिली, जहां से मैंने कार चलाना सीखा. इसके बाद उन्होंने ड्राइविंग में अपना करियर बनाने की ठानी. माता-पिता के आशीर्वाद से इस क्षेत्र में सरकारी नौकरी मिली. अब पैसे के अभाव में छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी.

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गांव की अबिता ने पहले चलाया उबर अब दौड़ाएंगी बस

बिहार की रहने वाली 41 वर्षीय अबिता मिश्रा की 25 साल की उम्र में शादी हो गई, जिसके बाद वो अपने पति के साथ सीतामढ़ी से पूर्वी दिल्ली के कड़कडूमा इलाके में रहने आ गईं. अपने बचपन को याद करते हुए अबिता बताती हैं कि उन्होंने बहुत कम उम्र में साइकिल चलाना सीख लिया था. उस समय उनके गांव में कोई भी लड़की साइकिल नहीं चलाती थी, लेकिन उन्हें साइकिल और कार चलाने का बहुत शौक था.

अबिता कहती हैं कि मैं ड्राइविंग सीखना चाहती थी और अपने पति की मदद करना चाहती थी. ताकि परिवार का खर्च चलाने में आसानी हो. इसके लिए मैंने 35 साल की उम्र में गाड़ी चलाना सीखा. जब बच्चे बड़े हो गए थे. वह कहती हैं कि वह 2020-2021 तक उबर चलाती थीं और तब उन्हें पता चला कि महिला चालकों के लिए भारी वाहन ड्राइविंग लाइसेंस शुरू किया गया है. अब वो डीटीसी की बसें दिल्ली की सड़कों पर दौड़ाते हुए नजर आएंगी.

अबिता मिश्रा अपने पुराने दिनों में से एक को याद करते हुए बताती है कि जब वह गाड़ी चलाकर अपने गांव गई थीं. ये उनके और गांव के लिए खुशी का अलग ही पल था, क्योंकि बिहार के एक छोटे से गांव में ड्राइविंग सीट पर एक महिला को देखना अपने आप में बहुत बड़ी बात थी. मुझे गाड़ी चलाते देख मेरे घर वाले बहुत खुश हुए थे.

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पहलवानी में जीता मेडल, फिर योग शिक्षक से बनीं बस चालक

खुशी उषा रानी ने रोहतक विश्वविद्यालय से योग और शारीरिक शिक्षा में डबल मास्टर डिग्री हासिल की है और राष्ट्रीय स्तर की भारोत्तोलन प्रतियोगिताओं में भाग लिया है. साल 2017 में मेडल भी जीता है. रोहतक की रहने वाली उषा रानी का कहना है कि बीमारी के कारण उन्हें कुश्ती छोड़नी पड़ी थी. इसके बाद उन्होंने हरियाणा के नवदुर्गा स्कूल में फिजिकल एजुकेशन भी पढ़ाया है. अब वह दिल्ली में डीटीसी बस चलाएगी. नियुक्ति पत्र पाकर उषा के खुशी का ठिकाना नहीं है.

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दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हैं योगिता

डीटीसी बसों में 13 महिला चालकों में से एक योगिता पुरिल दिल्ली यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में ग्रेजुएट हैं. उन्हें ड्राइविंग करना हमेशा से पसंद था. जब वो छोटी थीं तो जिस ऑटो में वो रोजाना स्कूल जाया करती थीं. उस ऑटो ड्राइवर से वाहन चलाने के बारे में पूछती थीं. उनका कहना है कि मुझे ड्राइविंग पसंद है इसलिए मैं डीटीसी में ड्राइवर बन गई.

गौरतलब है कि पहले समूह में शामिल होने वाली 11 महिला चालकों में भी कोई मुक्केबाज तो कोई टीचर था.