आज हम आपको पानी से जुड़े ऐसे फैक्ट्स (Amazing facts about water) के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपको हैरान कर देंगे और तब आपको समझ आएगा कि उसे बचाना क्यों जरूरी है.
कहते हैं कि जल ही जीवन है! ये बात बिल्कुल सच है क्योंकि इंसान (Why water important for living beings) खाने के बिना कुछ दिन तक रह सकता है मगर मेडिकल न्यूज टुडे वेबसाइट के अनुसार पानी के बिना 3 दिन से ज्यादा जीना असंभव है. हम अक्सर पानी के अनोखेपन, उससे जुड़ी हैरान करने वाली बातों पर ध्यान ही नहीं देते और उसे यूं ही बर्बाद कर देते हैं. आज हम आपको पानी से जुड़े ऐसे फैक्ट्स (Amazing facts about water) के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपको हैरान कर देंगे और तब आपको समझ आएगा कि उसे बचाना क्यों जरूरी है.
पानी ने ही धरती को जीने लायक बनाया है. समुद्र के अंदर रहने वाला छोटा सा जीव हो या रेगिस्तान में रहने वाला कोई जानवर, हर जीव के अंदर पानी है और बिना उसके जीवन नामुमकिन है. यही कारण है कि वैज्ञानिक दूसरे ग्रहों पर जीवन का पता लगाने के पानी (Scientists searching water on other planets) की खोज करते हैं क्योंकि उनका अंदाजा है कि जैसे धरती पर हर जीव के लिए पानी अहम है, वैसे ही दूसरे ग्रहों पर रहने वाले जीवों के लिए भी पानी अहम होगा.
धरती का अधिकतर पानी महासागरों (total water in oceans) में पाया जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि धरती का 96.5 फीसदी पानी महासागरों में है जो धरती की सतह का 71 फीसदी हिस्सा है. आसमान में हर वक्त 0.001 फीसदी पानी वॉटर वेपर बनकर उड़ता रहता है. अगर ये सारा पानी बारिश बनकर एक साथ धरती पर गिर जाए तो पूरे ग्रह पर 1 इंच तक बारिश हो सकती है.
धरती पर सिर्फ 3.5 फीसदी पानी ताजा (freshwater on earth) है, यानी इसमें बहुत ही कम मात्रा में नमक है. धरती पर मौजूद ताजे पानी को आप झील, तालाब, नदियों से तो आप पा सकते हैं मगर ध्यान रहे कि साफ पानी ग्राउंड वॉटर और ग्लेशियर में भी छुपा हुआ है. इस ताजे पानी में से 68 फीसदी बर्फ और ग्लेशियर में कैद है जबकि 30 फीसदी ग्राउंड वॉटर है.
नासा की क्लाइमेट किड्स वेबसाइट के अनुसार महासागरों के पानी में नमक का स्तर अलग-अलग होता है. 1 गैलन समुद्री पानी में करीब 1 कप नमक (how much salt is in sea) होता है, मगर प्रशांत महासागर की तुलना में अटलांटिक महासागर ज्यादा नमकीन है. दुनिया का सबसे नमकीन पानी अंटार्किटिका के छोटे से तालाब में होता है जिसे डॉन जुआन तालाब कहते हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि समुद्र के एक बूंद पानी (how many bacteria in 1 drop water) में लाखों कीटाणु, बैक्टीरिया और वायरस, हो सकते हैं. इसी के साथ उसमें मछली के अंडे, प्लैंकटन या फिर छोटे कीड़े भी हो सकते हैं.
क्या आप जानते हैं कि धरती पर धूमकेतु (comets in water) से भी पानी आता है? धरती जिस पत्थरीले पदार्थ से बनी उसमें पानी मौजूद था मगर वो पूरा नहीं है जिसे आज हम देखते हैं. नासा की वेबसाइट के अनुसार करोड़ों साल पहले अनगिनत धूमकेतुओं की बारिश हुई होगी जिससे धरती पर इतना पानी आया जिसे हम देख रहे हैं.
आपने गौर किया होगा कि पानी में धातु की कोई वस्तु डाली जाए तो वो डूब जाती है मगर बर्फ (why ice floats in water) नहीं डूबती, वो तैरने लगती है. जब धातु जैसा कोई सॉलिड पदार्थ बनता है तो उसमें मौजूद एटम साथ आकर घना रूप ले लेते हैं, इस कारण से उसका वजन भारी हो जाता है और वो डूब जाते हैं. मगर बर्फ के एटम जब साथ आते हैं तो वो रिंग आकार बना लेते हैं जिससे उनका घनत्व कम हो जाता है और वो तैरने लगते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार ये अच्छी बात है कि बर्फ तैरती है, तभी आइसबर्ग तैरते हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो आइसबर्ग डूबते और पूरे महासागर को जमा देते.
क्या आप जानते हैं कि हमारे शरीर का 55-60 फीसदी हिस्सा पानी होता है? वहीं, नवजात बच्चे का शरीर 78 फीसदी पानी (human body made of water) से बना होता है. पानी खून का अहम हिस्सा होता है वहीं शरीर से गंदगी बाहर निकालने में काम आता है. यही नहीं, पानी से शरीर का तापमान रेगुलेट होता है.
धरती की हर चीज में ग्रैविटी का अहम योगदान है. आप के चलने, बैठने और लेटने से लेकर चीजों के धरती पर टिके रहने तक. ग्रैविटी की ही वजह से पानी ऊपर से नीचे की तरफ आता है. अगर उसे नीचे से ऊपर ले जाना हो तो मोटर की जरूरत पड़ती है जिससे वो पानी का दबाव बढ़ा देता है और वो प्रेशर के साथ ऊपर जाता है. मगर क्या आप जानते हैं कि पौधों में पानी ग्रैविटी (water goes upwards in plants defy gravity) के नियमों के खिलाफ काम करता है और नीचे से ऊपर अपने आप जाता है? पौधों में मौजूद जायलम नाम के एक अंग के जरिए वो नीचे से ऊपर जाता है.