Dinesh Khatik Resignation and Namami Gange Project: उत्तर प्रदेश में नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत काफी काम चल रहा है। उत्तर प्रदेश के 28 जिलों से होकर गंगा गुजरती है। इन सभी जिलों में नमामि गंगे के तहत कार्य चल रहे हैं। इसके अलावा प्रोजेक्ट का विस्तार भी हुआ है।
अन्य बड़ी नदियों में भी सीवर का गंदा पानी जाने से रोकने की योजना तैयार की गई। लेकिन, यह योजना लगातार विवादों में घिरती रही है। गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए गंगा के किनारे के शहरों में सीवरेज सिस्टम को दुरुस्त कर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण की योजना तैयार की गई। उत्तर प्रदेश में भी बड़े स्तर पर कार्यक्रम चलाया गया है। करीब 46 योजनाओं पर काम चल रहा है। जलशक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक के इस योजना पर सवाल उठाए जाने के बाद मामला तूल पकड़ने लगा है।
दिनेश खटीक ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजे अपने इस्तीफे में कहा था कि आवंटित विभाग में मुझे कोई अधिकार नहीं दिया गया है। मेरे पत्रों का जवाब नहीं दिया जाता है। मेरे लिखे पत्रों पर कार्रवाई नहीं होती है। विभागीय स्तर पर जल रहे नमामि गंगे योजना में भी बहुत बड़ा भ्रष्टाचार फैला हुआ है। ग्राउंड पर जाने के बाद इसके बारे में जानकारी मिलती है। जब मैं कोई भी शिकायत किसी भी अधिकारी के खिलाफ करता हूं तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। इसकी किसी भी एजेंसी से जांच कराई जाती है।
दिनेश खटीक के पत्र के इसी हिस्से पर सवाल उठ रहे हैं। आखिर पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर वे कौन लोग हैं जो भ्रष्टाचार की कालिख पोत रहे हैं। ऐसे मामलों को उजागर किए जाने पर कौन कार्रवाई नहीं कर रहा है, इन सवालों के जवाब मंत्री के स्तर पर आने हैं। नमामि गंगे की बात की जाए तो यह परियोजना गंगा नदी को साफ रखने के लिए तैयार की गई है। गंगा नदी यूपी में 28 जिलों से होकर गुजरती है। कुल 1140 किलोमीटर गंगा का बहाव यूपी में होता है। ऐसे में इस परियोजना का आकार भी प्रदेश में काफी बड़ा है।
पांच प्रायोरिटी में बांटी गई हैं यूपी की नदियां
गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के अभियान के साथ शुरू हुए नमामि गंगे कार्यक्रम का यूपी में खासा विस्तार देखने को मिला है। यहां पर पांच प्रायोरिटी में नदियों को बांटकर उसमें गिरने वाले सीवर के पानी को साफ कर गिराने की योजना पर काम शुरू किया गया है। प्रायोरिटी एक से चार तक की नदियों में गंगा नदी के साथ-साथ यमुना, गोमती, रामगंगा, हिंडन, काली ईस्ट और वरुणा नदियां शामिल की गई हैं। वहीं, प्रायोरिटी पांच में बेतवा, घाघरा, सरयू, राप्ती और साई नदियों को राज्य कमेटी की पुनर्विकसित करने की योजना बनाई गई है। इनके अलावा आमी और तमसा नदी के लिए राज्य नदी पुनर्विकास कमिटी की ओर से एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है।
यूपी जल निगम की ओर से चल रही योजना
यूपी जल निगम की ओर से योजना चलाई जा रही है। उत्तर प्रदेश जल निगम रूरल और अर्बन के स्तर पर कार्यक्रम चल रहा है। यूपी जल निगम रूरल की ओर से 19 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कराया जा रहा है। वहीं, यूपी जल निगम अर्बन की ओर से 15 एसटीपी का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा दो प्रस्तावों पर अभी विचार चल रहे हैं।
यूपी में संचालित एसटीपी का स्टेटस
पीने और नहाने लायक नहीं हुई है गंगा
नमामि गंगे मिशन की ओर से कराई गई जांच में नहाने लायक अभी गंगा नदी का पानी कई घाटों पर नहीं हो पाया है। नमामि गंगे की ओर से कानपुर, रायबरेली, प्रतापगढ़, कौशाम्बी और प्रयागराज में वर्ष 2022 में गंगा नदी के वाटर क्वालिटी की जांच कराई गई। इसकी रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में यह मामला सामने आया है। पीने के लिए किसी भी पानी में डिजॉल्वड ऑक्सीजन 6 मिलीग्राम प्रति लीटर न्यूनतम होना चाहिए। वहीं, नहाने के लिए डिजॉल्वड ऑक्सीजन 5 मिलीग्राम और जंगली जानवरों एवं मछलियों के संवर्द्धन के लिए 4 मिलीग्राम प्रति लीटर न्यूनतम होना चाहिए। हालांकि, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 2 से 3 मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए। टोटल कॉलिफॉर्म अधिकतम 50 से 5000 होना चाहिए।
फरवरी 2022 में कानपुर के जजमऊ ब्रिज के पास किए गए सर्वेक्षण में डिजॉल्वड ऑक्सीजन लेबल 9.6 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया। वहीं, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 4.1 मिलीग्राम प्रति लीटर और टोटल कॉलिफॉर्म 5400 एमपीएन पाया गया है। इस प्रकार इस घाट पर अभी और काम करने की जरूरत बताई गई है।
रायबरेली के दलमऊ ब्रिज के पास किए गए सर्वेक्षण में डिजॉल्वड ऑक्सीजन लेबल 10.6 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया। वहीं, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 3.5 मिलीग्राम प्रति लीटर और टोटल कॉलिफॉर्म 2700 एमपीएन पाया गया है। इस प्रकार इस घाट पर अभी और काम करने की जरूरत बताई गई है। यह इलाका मछलियों के संवर्द्धन के लिए उपयुक्त माना जा रहा है।
प्रतापगढ़ के काला कंकड़ के पास किए गए सर्वेक्षण में डिजॉल्वड ऑक्सीजन लेबल 10.9 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया। वहीं, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 3.4 मिलीग्राम प्रति लीटर और टोटल कॉलिफॉर्म 2600 एमपीएन पाया गया है। इस प्रकार इस घाट पर अभी मछली का संवर्द्धन का ही माहौल दिखता है।
प्रयागराज के रसूलाबाद घाट के पास किए गए सर्वेक्षण में डिजॉल्वड ऑक्सीजन लेबल 10.4 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया। वहीं, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 2.8 मिलीग्राम प्रति लीटर और टोटल कॉलिफॉर्म 2000 एमपीएन पाया गया है। इस प्रकार इस घाट पर नहाने और मछलियों के संवर्द्धन का माहौल बरता दिख रहा है।
यूपी जल निगम की ओर से संचालित परियोजना (रूरल लेवल) :
योजना का नाम | क्षमता (एमएलडी में) | पूर्ण होने की संभावित तिथि |
शुक्लागंज | 05 | नवंबर 2022 |
उन्नाव | 15 | जून 2022 |
कानपुर-पंखा | 30 | जून 2022 |
नैनी-झांसी-फाफामऊ | 72 | जुलाई 2022 |
इटावा | 21 | मार्च 2022 |
कासगंज | 15 | मार्च 2022 |
सुल्तानपुर | 17 | मई 2022 |
जौनपुर | 30 | जून 2022 |
मुजफ्फरनगर | 54.5 | दिसंबर 2022 |
बुधाना | 10 | दिसंबर 2022 |
बागपत | 14 | जून 2022 |
मुरादाबाद | 25 | जमीन संकट के कारण देरी |
लखनऊ | 40 | सब ज्यूडिश |
मिर्जापुर | 17 | जून 2023 |
गाजीपुर | 21 | जून 2023 |
कैराना | 15 | जून 2023 |
फतेहगढ़-फर्रुखाबाद | 45 | अक्टूबर 2023 |
बरेली | 63 | जुलाई 2023 |
अयोध्या | 33 | जून 2024 |
यूपी जल निगम की ओर से संचालित परियोजना (अर्बन लेवल) :
योजना का नाम | क्षमता (एमएलडी में) | पूर्ण होने की संभावित तिथि |
बुलंदशहर | 40 | जनवरी 2022 |
हापुड़ | 30 | मार्च 2022 |
मिर्जापुर | 07 | मार्च 2022 |
बरेली | 35 | सितंबर 2022 |
अलीगढ़ | 45 | सितंबर 2022 |
रायबरेली | 18 | फरवरी 2022 |
एटा | 24 | मार्च 2022 |
मोदीनगर | 20 | फरवरी 2022 |
शाहजहांपुर | 40 | मार्च 2023 |
आजमगढ़ | 08 | जनवरी 2024 |
गोरखपुर | 05 | नवंबर 2022 |
लखनऊ | 120 | नवंबर 2022 |
बलिया | 19.6 | — |
प्रतापगढ़ | 8.95 | अक्टूबर 2022 |
कानपुर | 15 | — |