शिमला, 3 अगस्त : सांप की प्रजातियों खासकर कोबरा में दिलचस्पी रखने वालों के लिए एक दिलचस्प खबर है। इसके मुताबिक भारत में हिमाचल प्रदेश के चंबा के अलावा जम्मू में पाया जाने वाला ‘सैंट्रल एशियन कोबरा’ (Naja Oxiana) अपने भोजन में सांप को भी खा जाता है। सैंट्रल एशियन कोबरा (central asian cobra) से जुड़ा इस तरह का शोधपत्र पहली बार जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
सांपों की प्रजातियों में गहरी रुचि रखने वाले शोधकर्ता वीरेंद्र कुमार भारद्वाज व राकेश्वर कपूर का रिसर्च पेपर जर्नल में प्रकाशित हुआ है। एशियन कोबरा द्वारा आहार के रूप में सांप की दूसरी प्रजाति को खाने की पहली घटना चंबा जिला के जुकियानी गांव में 7 जुलाई 2020 को सामने आई थी।
ये घटना कोबरा को रेस्क्यू करने के दौरान सामने आई थी। ये पाया गया था कि कोबरा द्वारा हिमालयन ट्रिंकेट प्रजाति (Elaphe Hodgson) को निगला जा रहा था। इसके बाद दूसरी घटना 15 अगस्त 2020 को चंबा के ही चमारा गांव में रिकाॅर्ड हुई। इसमें भी यही पाया गया कि सैंट्रल एशियन कोबरा द्वारा हिमालयन ट्रिंकेट प्रजाति के सांप को भोजन के तौर पर निगला जा रहा था। लेकिन मौके पर भीड़ इकट्ठी हो जाने की वजह से कोबरा ने अपने भोजन (Prey) को उगल दिया था, ताकि वो खुद को सुरक्षित जगह छिपा सके। कोबरा कुछ देर बाद वापस मरे हुए सांप को निगलने के लिए पहुंचा था, लेकिन दोबारा भीड़ को पाकर लौट गया था।
बता दें कि अमूमन जहरीली प्रजाति का कोबरा लोगों से एनकाउंटर नहीं करना चाहता है। घरों में भी उसी सूरत में घुसता है, जब उसे अपने पसंदीदा आहार का शिकार करना होता है। आम तौर पर घरों में घुसने वाला हिमालयन ट्रिंकेट जहरीला नहीं होता। शोधकर्ता वीरेंद्र कुमार भारद्वाज व राकेश्वर कपूर ने रिसर्च पेपर को हेमड्रियाड (Hamadryad) पत्रिका को 23 मार्च 2021 को सौंपा था।
संशोधन के बाद इसे 22 अक्टूबर 2021 को मंजूर कर लिया गया। 22 जुलाई 2022 को ये पेपर पत्रिका के द्वारा ऑनलाइन कर दिया गया। ऐसा भी बताया जाता है कि एशियन कोबरा की प्रजाति को 1831 में खोज लिया गया था, लेकिन इसके भोजन व व्यवहार को लेकर खास शोध नहीं हुए थे, लिहाजा ऑन रिकॉर्ड इस बात को शोध कि सैंट्रल एशियन कोबरा द्वारा सांप की प्रजातियों को ही भोजन के रूप में सेवन किया जाता है, खास है।
दीगर है कि सांप की प्रजातियों के शोध के लिए चंबा को काफी अहम माना जाता है। शोधकर्ता वीरेंद्र भारद्वाज व राकेश्वर कपूर मूलतः चंबा जिला के ही रहने वाले हैं।
उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में शोधकर्ता राकेश्वर कपूर का कहना था कि सैंट्रल एशियन कोबरा भारत में केवल चंबा व जम्मू-कश्मीर में ही पाया जाता है। गौरतलब है कि टीम ने हाल ही में सोलन के कुनिहार में दुर्लभ पक्षी (Grey Crowned Prenia) की साइटिंग भी हुई थी।
शोधकर्ता वीरेंद्र व राकेश्वर द्वारा नवंबर 2021 में चंबा जनपद की चुराह घाटी में सांप की एक नई प्रजाति को भी खोजने में सफलता प्राप्त की थी। इस प्रजाति को स्थानीय भाषा में ‘चुराह वैली कुकरी’ (‘Churrah Valley Cookery’) नाम दिया गया था। दुनिया भर में सांप की ये प्रजाति पहली बार सामने आई थी। तीसा के रहने वाले वीरेंद्र इस समय जीएनडीयू अमृतसर (GNDU Amritsar) में शोधकर्ता हैं। राकेश्वर कपूर ने इस रिसर्च पर जिशान मिर्जा का सहयोग देने पर खास आभार प्रकट किया।