झूठ बोलने पर काला कौआ नहीं…सफेद भी काट सकता है, हिमाचल के सिरमौर में दुर्लभ साइटिंग

नाहन, 01 अगस्त : झूठ बोले कौआ काटे, काले कौवे से डरियो…एक गाने की ये पंक्तियां अक्सर बच्चों को झूठ बोलने से रोकने के लिए  इस्तेमाल की जाती हैं। लेकिन अब तो सफेद कौआ भी काट सकता है। क्या आपने सुना है, कौआ सफेद रंग का भी होता है। शायद, अधिकतर लोगों का जवाब नहीं में होगा। असल में सफेद रंग का कौआ होता है।

रोचक बात ये है कि हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जनपद के सराहां उपमंडल में सफेद रंग के कौवे  को साइट किया जा रहा है। इसे देखने वाला पहले ये भी समझ बैठता है कि सफेद रंग का कबूतर होगा। चूंकि ये काले रंग के कौओं के झुंड में नजर आता है तो कबूतर होने का कोई मतलब नहीं रह जाता। क्योंकि पक्षी अपने झुंड में अपनी ही प्रजाति के पक्षी को रहने की अनुमति देते हैं।

 31 जुलाई 2022 को सुबह करीब सवा 10 बजे नाहन से सोलन की तरफ जा रहे चालक कमलेश की इनोवा कार में अचानक ही सराहां से करीब एक किलोमीटर पहले ब्रेक लग गई। वो इस बात को देखकर हैरान रह गए कि सफेद रंग का कौआ, काले कौओं के झुंड में अठखेलियां कर रहा है। साथ ही हरी घास पर दाना भी चुग रहा है। आपको साफ कर दें कि फिलहाल आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं है कि ये सफेद कौआ ही है। अलबत्ता ये सही है कि सफेद रंग का कौआ बेहद दुर्लभ होता है।

कमलेश के साथ कार में मौजूद अन्य व्यक्ति ने करीब दो मिनट तक साइटिंग की। इसके बाद सफेद कौआ उड़ कर पेड़ की डाल पर बैठ गया, जहां से कुछ देर बाद उड़ गया। एमबीएम न्यूज नेटवर्क द्वारा खंगाले जाने पर पता चला कि करीब सा़ढ़े तीन साल पहले क्षेत्र में सफेद कौओं का जोड़ा हुआ करता था। इसे कई लोगों ने साइट किया था।

ऐसा भी माना जाता है कि एल्बिनो नाम का ये पक्षी अमेरिका में पाया जाता है। भारत में इसका आश्रय स्थल केरल में है। स्थानीय लोगों ने सराहां क्षेत्र में सफेद रंग के दो कौओं को साइट किया था,  लेकिन अब एक ही झुंड में नजर आया है। लिहाजा, ये भी माना जा रहा है कि सफेद रंग के कौवे की मौत हो चुकी होगी।

शायद, हिमाचल में सफेद रंग के कौए इसी इलाके में ही मौजूद हो सकते हैं। रोचक बात ये है कि पिछले कुछ सालों में सिरमौर में वन्यप्राणियों को लेकर कई सुखद खबरें आई हैं। इसमें समूचे प्रदेश में पहली बार किंग कोबरा की साइटिंग दर्ज हुई। हाल ही में श्री रेणुका जी लाॅयन्स सफारी में दुर्लभ बारहसिंगा के शिशु ने जन्म लिया है।

उधर एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में श्री रेणुका जी वाइल्ड लाइफ के वन परिक्षेत्र अधिकारी नंद लाल ने कहा कि शोध के बाद ही आधिकारिक टिप्पणी की जा सकती है, अलबत्ता ये जरूर है कि अगर कौओं का झुंड पक्षी को अपने साथ रहने की इजाजत दे रहा है तो पूरी संभावना है कि कौवे की ही प्रजाति हो सकती है। उन्होंने ये भी कहा कि पहाड़ में पाए जाने वाले कौवे देसी कौओं को भी अपने झुंड में आने की अनुमति नहीं देते हैं।

हालांकि कौवे के रंग में बदलाव के पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। सफेद कौवा भी अन्य काले कौवे के समान ही होता है, लेकिन आनुवंशिक दोष के कारण कुछ कौवे का रंग सफेद हो जाता है। दुनिया में कौवे की कई ऐसी प्रजातियां हैं , जिनके शरीर पर कहीं न कहीं सफेद धब्बा होता है। विज्ञान के मुताबिक एलबीनिस्म प्रक्रिया पूरी न होने के कारण, कुछ कौवे सफेद रंग में पैदा होते हैं, न कि जीव के मूल रंग में।

ये सफेद कौए से जुड़ी धार्मिक मान्यता….
वहीं हिन्दू धर्म में सफेद कौवे को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पहले कौए सफेद रंग के ही हुआ करते थे। लेकिन एक ऋषि के श्राप के चलते कौए का रंग काला हो गया। किवदंतियों के अनुसार एक ऋषि ने कौवे को अमृत ढूंढने भेजा और आदेश दिया कि वो केवल अमृत की जानकारी उन्हें दे, उसे पीना नहीं है। 

कौवे को अमृत मिल गया और लालसा के चलते उसने अमृत पी लिया। ऋषि को जब इस बात का पता चला तो वो कौवे से नाराज हो गए और उसे पवित्र अमृत को अपवित्र करने के चलते श्राप दे दिया। उन्होंने अपने कमंडल के जल में डुबोकर सफेद कौवे को काला बना दिया। तब से कौवे का रंग काला हो गया।