रेवड़ी कल्चर को लेकर चल रही बहस के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट का कहना है कि इस कल्चर के चलते अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हो रहा है। अदालत ने गुरुवार को कहा कि चुनावों के दौरान किए जाने वाले मुफ्त सुविधाओं के वादे एक गंभीर मुद्दा हैं, क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। शीर्ष अदालत ने वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। याचिका में चुनावों के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त का वादा करने वाले राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। याचिका में चुनाव घोषणापत्र को विनियमित करने के साथ-साथ उसमें किए गए वादों के लिए राजनीतिक दलों को जवाबदेह ठहराने के लिए कदम उठाने को कहा गया है। बार एंड बैंच की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन ने कहा कि कोई यह नहीं कह रहा है कि यह मुद्दा नहीं है। यह एक गंभीर मुद्दा है। जिसे मिल रहा है, वे चाहते हैं कि मिलता रहे, हम एक कल्याणकारी राज्य हैं। कुछ लोग कह सकते हैं कि वे टैक्स देते हैं और इसका इस्तेमाल विकास प्रक्रिया के लिए किया जाना चाहिए है। इसलिए यह एक गंभीर मुद्दा है। इसलिए दोनों पक्षों को समिति द्वारा सुना जाना है।
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि भारत एक ऐसा देश है, जहां गरीबी मौजूद है और केंद्र सरकार की भी भूखे लोगों का पेट भरने की योजना है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था पैसे खो रही है, इसलिए लोगों के कल्याण को संतुलित करना होगा। गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश एनवी रमन और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी व न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने तीन अगस्त को केंद्र, नीति आयोग, वित्त आयोग और आरबीआई जैसे हितधारकों से मुफ्त चीजों के वादों के गंभीर विषय पर मंथन करने और इनसे निपटने के लिए सकारात्मक सुझाव देने को कहा था। हालांकि इस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि अभी हम कोई आदेश नहीं दे सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले पर एक कमेटी बनाए। लोगों की भलाई के लाई जाने वाली वेलफेयर स्कीम और देश की आर्थिक सेहत दोनों में संतुलन बनाए रखने की जरूरत है। इसलिए ही हम सब इस पर चर्चा कर रहे हैं। मामले में अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी।
गरीब के खाने पर टैक्स, अमीरों का पांच लाख करोड़ कर्ज माफ
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। पीएम मोदी के ‘रेवड़ी कल्चर’ वाले तंज पर जवाब देते हुए केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी ठगा सा महसूस कर रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार ने गरीब के खाने पर भी टैक्स लगा दिया है, वहीं बड़े व्यापारियों का पांच लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया गया है। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से जनता को मुफ्त में मिलने वाली सुविधाओं का विरोध किया जा रहा है, कहा जा रहा है कि सारी मुफ्त की सुविधाओं को बंद किया जाए। क्या केंद्र सरकार की आर्थिक हालत ज्यादा खराब तो नहीं हो गई है? केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार जब अग्निपथ योजना लाई तब कहा गया कि इसको लाने की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि सैनिकों के पेंशन का खर्च इतना बढ़ गया कि केंद्र सरकार उसको बर्दाश्त नहीं कर पा रही। दिल्ली सीएम बोले कि आजादी के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है कि कोई सरकार ऐसा कह रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 8वां वेतन आयोग लाने से भी मना किया है।
बीजेपी ने किया पलटवार
केजरीवाल के दावे पर बीजेपी की तरफ से आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कर्ज माफ नहीं किया है, बल्कि 2014-15 से 6.5 लाख करोड़ का कर्ज वसूल किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने ऐसा कहीं नहीं कहा कि अग्नीवीर स्कीम पेंशन बिल को कम करने के लिए लाई गई है। मालवीय ने कहा कि मोदी सरकार के पास सेना के लिए पैसा है। यह भी कहा गया कि खुले खाने के सामान पर कोई टैक्स सरकार ने नहीं लगाया है। वहीं राज्यों द्वारा वसूले जाने वाला वैट पहले से लगता रहा है।