डॉ छवि जैन राजस्थान के अजमेर की बेटी हैं. इनके द्वारा तैयार की गई इस वैक्सीन को पहले जानवरों पर प्रयोग किया जा चुका है, जो सफल रहा. अब इसका महिलाओं पर क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया गया है. ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर से प्रभावित 18-24 साल की महिलाओं को क्लिनिकल ट्रायल के पहले चरण के दौरान दो हफ्ते के अंतर से तीन डोज दी जाएंगी.
रिपोर्ट्स के अनुसार ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर में अल्फा लेक्टलब्यूमिन नामक ब्रेस्ट कैंसर प्रोटीन बनता है और ये वैक्सीन इसी प्रोटीन खत्म करने का काम करेगी. अमेरिका के लर्निंग इंस्टीट्यूट क्लीवलैंड क्लीनिक में साइंटिस्ट छवि अमेरिकन कैंसर सोसायटी की फीमेल रिसर्च एंबेसडर भी हैं.
डॉक्टर माता पिता की बेटी हैं छवि
अजमेर में ही पली बढ़ी छवि के माता-पिता डॉक्टर हैं. अजमेर के वैशाली नगर स्थित सागर विहार कॉलोनी में रहने वाले छवि के पिता डॉ संजीव जैन अजमेर JLN अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ हैं. वहीं उनकी मां डॉ. नीना जैन JLN हॉस्पिटल में ही एनेस्थीसिया विभाग में सीनियर प्रोफेसर और पूर्व HOD हैं.
अजमेर की सोफिया और मयूर स्कूल से अपनी आरंभिक शिक्षा प्राप्त करने वाली छवि ने पुणे के इंस्टीट्यूट ऑफ बायो इन्फोर्मेटिक्स एंड बायो टेक्नोलॉजी से एमटेक किया. इसके बाद उन्होंने स्विटजरलैंड की स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी यूनिवर्सिटी से PhD की डिग्री प्राप्त की.
छवि ने लर्नर रीसर्च इंस्टीट्यूट में 2018 से जून 2021 तक काम किया. यहीं से वह डॉ. थामस बड और डॉ. विनसेंट टूही की रिसर्च पर आधारित कैंसर वैक्सीन की ट्रायल टीम में शामिल हुईं.
पढ़ाई के लिए कभी देर तक नहीं बैठीं
ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाले लोग बचपन से ही पहचान में आ जाते हैं. इनके फील्ड से जुड़ी किताबें ही इनका पूरा संसार होती हैं. दिन रात किताबों में डूबे रहने के बाद ही ऐसी कामयाबी मिलती है लेकिन छवि की बात कुछ अलग ही है. उनकी मां डॉ. नीना जैन के अनुसार उन्होंने छवि को कभी पढ़ते नहीं देखा.
लेकिन कमाल की बात ये रही कि जब भी उनसे कोई सवाल पूछा गया तो उन्होंने हर बार सही जवाब ही दिया. इस बात ने हर बार सबको हैरान किया. यहां तक कि छवि खुद इस बात को स्वीकार करती हैं कि उन्होंने कभी देर तक बैठ कर पढ़ाई नहीं की. असल में छवि कि लर्निंग पावर हमेशा से अच्छी रही है.
वह किसी भी सवाल को बहुत जल्दी समझ लेती हैं यही वजह रही कि उन्हें उतनी ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी जितना अन्य बच्चे करते हैं.
इंजीनियर बनना चाहती थीं
असल में छवि हमेशा से अपने कजिन की तरह इंजीनियर बनना चाहती थीं लेकिन फिर एक दिन उनकी ये सोच बदल गई. मयूर स्कूल में तधते हुए उन्होंने 11वीं में मैथ्स सब्जेक्ट लिया था. कुछ ही दिनों बाद उन्होंने बॉयो पढ़ने का मन बनाया और स्कूल मैनेजमेंट से इजाजत लेकर एक दिन के लिए बायो की क्लास अटेंड की. इसी एक क्लास ने उनके भविष्य को बदल कर रख दिया. उन्हें इस विषय में रूचि पैदा हुई. इंजीनियर ही नहीं बल्कि छवि ने MBBS कर फिजीशियन बनने की इच्छा राखी लेकिन माता पिता के साथ से वह इस इस फील्ड का हिस्सा बन गईं.