तीन प्रवक्ताओं के सहारे चल रहा चिंतपूर्णी कॉलेज

तीन प्रवक्ताओं के सहारे चल रहा चिंतपूर्णी कॉलेज

चिंतपूर्णी स्थित राजकीय महाविद्यालय। -संवाद
भरवाईं (ऊना)। जिले के सबसे छोटे कॉलेज राजकीय महाविद्यालय चिंतपूर्णी में स्टाफ की भारी कमी होने के बावजूद यहां की छात्रा ने प्रदेश भर में अपना नाम चमकाया है। महाविद्यालय की छात्रा दीक्षा ठाकुर ने बीकॉम अंतिम वर्ष की मेरिट सूची में पांचवां स्थान प्राप्त किया है।
हैरत की बात यह है कि चिंतपूर्णी कॉलेज में मात्र तीन ही प्रवक्ता कार्यरत हैं। यहां 180 के करीब विद्यार्थी पढ़ाई करते हैं और उनमें ज्यादातर लड़कियां हैं। कॉलेज में स्टाफ की कमी के कारण क्षेत्र के बच्चे दूसरे बड़े कॉलेजों में दाखिला लेने पर मजबूर हो रहे हैं। कांग्रेस के कार्यकाल में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने स्वामी विवेकानंद कॉलेज के नाम से चलने वाले इस कॉलेज को राजकीय महाविद्यालय का दर्जा दिया था। साढ़े चार वर्षों के कार्यकाल में यहां पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए, लेकिन कॉलेज की दुर्दशा पर भाजपा सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया।
यहां तक कि कार्यरत प्राचार्य को भी बदल दिया गया। कॉलेज का प्रबंधन देख रहे प्राचार्य एसके बंसल ने बताया कि कॉलेज मात्र पांच कनाल भूमि पर बना हुआ है और इसके लिए करीब 18 कनाल जमीन स्थानीय भूमि मालिक देना चाहते हैं, लेकिन सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।
कॉलेज से रिटायर हुए चिंतपूर्णी निवासी जीतलाल कालिया यहां पर अपनी निशुल्क सेवा प्रदान कर रहे हैं, ताकि यहां पर शिक्षा ग्रहण रही बच्चियों का भविष्य उज्जवल हो सके। स्थानीय निवासी निरंजन कालिया, होशियार सिंह, विनोद कुमार, जीवन कालिया ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द चिंतपूर्णी राजकीय महाविद्यालय में स्टाफ की कमी को पूरा किया जाए, तथा भूमि मालिकों को पैसा देकर जमीन कॉलेज के नाम की जाए।