दो साल इंतजार के बाद किन्नर कैलाश यात्रा शुरु, पहले दिन 80 लोगों का जत्था तंगलिंग बेस कैंप से रवाना

किन्नौर. जनजातीय जिला किन्नौर में किन्नर कैलाश धार्मिक यात्रा को लेकर सभी तरह की तैयारियों पूरी हो गई हैं. प्रशासन की तरफ से श्रद्धालुओं को एडवाइजरी जारी कर दी गई है. कोरोना काल में करीब 2 वर्षो के बाद किन्नर कैलाश यात्रा को आयोजित किया जा रहा है. ऐसे में भोले बाबा के भक्तों में खासा उत्साह है और 15 दिनों चलने बाली इस यात्रा के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन का प्रावधान रखा गया है.

उपमण्डल अधिकारी कल्पा डॉ. मेजर शशांक गुप्ता ने यात्रा को लेकर निर्देश जारी करते हुए कहा कि जिन यात्रियों नेऑनलाइन व ऑफलाइन किन्नौर कैलाश यात्रा के लिए बुकिंग करवाई है उन यात्रियों का यात्रा से एक दिन पहले बेस कैम्प तांगलिंग में मेडिकल चेक-अप किया जाएगा. इसके लिए उन्हें यात्रा से एक दिन पहले बेस कैम्प तांगलिंग पहुंचना अनिवार्य होगा.

उन्होंने बताया कि मेडिकल चेक-अप बेस कैम्प तांगलिग में प्रातः 9:30 बजे से सांय 4 बजे तक किया जाएगा. इसके अलावा उपमण्डलाधिकारी ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि यदि मौसम खराब होता है तो किन्नौर कैलाश यात्रा 4 अगस्त, 2022 से आरंभ की जाएगी. उन्होंने सभी यात्रियों से आग्रह किया कि वे इस दौरान सफाई व्यवस्था बनाए रखने में अपना विशेष सहयोग दें तथा साथ ही मार्ग में आने वाली विभिन्न वनस्पतियों को किसी भी प्रकार का नुकसान न पहुंचाए.

कहां है किन्नर कैलाश

किन्नर कैलाश हिमाचल के किन्नौर जिले में है. यहां पर एक शिवलिंग (शिला) है, जो 79 फीट का है. इसके आस-पास बर्फीले पहाड़ों की चोटियां हैं. अत्यधिक ऊंचाई के कारण किन्नर कैलाश शिवलिंग बादलों से घिरा रहता है. ये हिमाचल के दुर्गम स्थान पर है, इसलिए यहां पर ज्यादा लोग दर्शन के लिए नहीं आते हैं. शिवलिंग का आकार त्रिशूल जैसा लगता है. किन्नर कैलाश पार्वती कुंड के काफी नजदीक है.

14 किमी की चढ़ाई
किन्नर कैलाश की चढ़ाई बेहद मुश्किल है. यहां 14 किलोमीटर लंबे इस ट्रेक के आस-पास बर्फीली चोटियां हैं. इस ट्रेक का पहला पड़ाव तांगलिंग गांव है, जो सतलुज नदी के किनारे है. यहां से 8 किलोमीटर दूर मलिंग खटा तक ट्रेक करके जाना पड़ता है. इसके बाद 5 किलोमीटर दूर पार्वती कुंड तक जाते हैं. वहां से एक कलोमीटर दूर किन्नर कैलाश है.