नेरचौक मेडिकल कॉलेज में जीनोम सीक्वेंसिंग लैब शुरू, हर वायरस की होगी पहचान

नेरचौक मेडिकल कॉलेज में जीनोम सीक्वेंसिंग लैब शुरू हो गई है। इससे पहले हिमाचल प्रदेश से सैंपल दिल्ली की एनसीडीसी लैब में ही भेजे जाते थे।

नेरचौक मेडिकल कॉलेज

वायरस के डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अमल (डीएनए) या राइबोज न्यूक्लिक अमल (आरएनए) की जांच के लिए नेरचौक मेडिकल कॉलेज में जीनोम सीक्वेंसिंग लैब शुरू हो गई है। यहां हर वायरस की पहचान हो सकेगी। अभी यहां एक दर्जन से अधिक सैंपल पर ट्रायल किया गया है, जिनकी रिपोर्ट दिल्ली की एनसीडीसी लैब में भेजी गई है। इनमें कोविड के वैरिएंट स्ट्रेन की जांच के कुछ सैंपल भी शामिल हैं। 

मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलाजी हेड डॉ. सुनीती गंजू ने कहा कि ट्रायल किस हद तक सफल रहता है, इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही लैब में व्यवस्थित जांच शुरू होगी। बता दें कि इस लैब के संचालित होने के बाद वायरस के विभिन्न रूपों का पता लगाया जा सकेगा, जो भविष्य में पनप सकते हैं। 
इससे पहले हिमाचल प्रदेश से सैंपल दिल्ली की एनसीडीसी लैब में ही भेजे जाते थे और रिपोर्ट के लिए 20 दिन इंतजार करना पड़ता था। इतने लंबे समय में खतरनाक वायरस के और बढ़ने की आशंका बनी रहती थी। प्रदेश में लैब स्थापित होने से किसी भी वायरस की डीएनए और आरएनए रिपोर्ट एक या दो दिन बाद मिल सकेगी। 

इलाज जल्द मिलने में रहती है सुविधा
जीनोम सीक्वेंसिंग में किसी भी वायरस के डीएनए या आरएनए की जांच की जाती है। इससे पता चलता है कि वायरस कैसे हमला करता है और यह कितना प्रभावशाली है। इससे इलाज जल्द मिलने में सुविधा रहती है। लैब में किसी भी प्रकार के वायरस के वैरिएंट का पता लगाया जा सकेगा। जिस प्रकार कोरोना काल में ओमिक्रोन व अन्य वैरिएंट का पता लगाने के लिए सैंपल दिल्ली भेजे जाते थे, अब वायरस के ऐसे रूपों का पता इस लैब में ही लग सकेगा।