उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित भारती भवन पुस्तकालय अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। हाल ही में नगर निगम ने पहली बार लाइब्रेरी को हाउस टैक्स का नोटिस दिया था। इस लाइब्रेरी में नेहरू, मालवीय, टंडन के अलावा निराला, महादेवी और पंत भी अक्सर बैठकी किया करते थे।
नगर निगम ने भेजा है टैक्स का नोटिस
हाल ही में नगर निगम ने भारती भवन पुस्तकालय को 2.87 लाख रुपये का गृह कर नोटिस भेजा है, जिसमें 2018 से लगाया गया ब्याज भी शामिल है। भारती भवन पुस्तकालय के लाइब्रेरियन स्वतंत्र पांडेय ने बताया कि कभी आर्थिक सहायता देने वाले नगर निगम ने पुस्तकालय को 2.84 लाख रुपये के गृह कर का नोटिस भेज दिया है। साल 2018 से पहले कभी भी इस पुस्तकालय से गृह कर नहीं लिया गया था।
पाठकों से नहीं ली जाती कोई फीस
पांडेय के मुताबिक, “इस पुस्तकालय की आय का कोई स्रोत नहीं है, क्योंकि यहां पाठकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता। राज्य सरकार से प्रति वर्ष दो लाख रुपये का अनुदान मिलता है, जिससे बिजली का बिल भरा जाता है, जो कि सालाना 35 से 40 हजार रुपये के बीच आता है।” उन्होंने बताया कि इसके अलावा पुस्तकालय के पांच कर्मचारियों के वेतन के मद में सालाना 2.75 लाख रुपये खर्च होते हैं, जिसका भुगतान सावधि जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी) से मिलने वाले ब्याज से किया जाता है।
600 साल पुरानी पांडुलिपियां
पांडेय के अनुसार, यह एफडी पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और पूर्व राज्यपाल मोतीलाल वोहरा जैसी हस्तियों द्वारा दी गई आर्थिक मदद से की गई थी। सामाजिक कार्यकर्ता बाबा अभय अवस्थी ने कहा, “भारती भवन पुस्तकालय में 600 साल पुरानी पांडुलिपियां रखी हुई हैं। पंडित मदन मोहन मालवीय, बालकृष्ण भट्ट, पंडित जवाहरलाल नेहरू, पुरुषोत्तम दास टंडन आदि यहां से बौद्धिक खुराक लिया करते थे। भल्ला जी ने इस पुस्तकालय को राष्ट्र को समर्पित किया था।”
बैठकी करते थे निराला, महादेवी और पंत
उन्होंने बताया कि भारती भवन पुस्तकालय सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, महादेवी वर्मा और सुमित्रा नंदन पंत जैसे महान हिंदी साहित्यकारों की बैठकी का केंद्र हुआ करता था और आजादी के आंदोलन के दौरान यहां से जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानियों को पुस्तकें भेजी जाती थीं। स्वतंत्र पांडेय ने कहा, “भारती भवन पुस्तकालय में 1600 शताब्दी की पांडुलिपियां रखी हुई हैं। इसके अलावा, यहां 1750 से लेकर अब तक का पंचांग और ‘द लीडर’ अखबार का 1910 से लेकर 1968 तक का अंक मौजूद है। पुस्तकालय में आजादी से पहले की पत्र-पत्रिकाएं भी रखी हुई हैं।”उन्होंने कहा, “अगर इसी तरह से भारती भवन पर कर का बोझ डाला गया तो बहुत जल्द यहां ताला लग जाएगा और लोग निजी पुस्तकालयों में जाने को मजबूर होंगे।”