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नौणी विश्वविद्यालय के उपकुलपति कर रहे तानाशाही : शुभम राठौर

औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के उपकुलपति द्वारा पिछले लगभग डेढ़ सालों से विश्वविद्यालय में तानाशाही चलाई जा रही है। इसी के संदर्भ में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् मान्यवर राज्यपाल महोदय, माननीय मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश तथा बागवानी व वन मंत्री हिमाचल सरकार, सभी माननीय सदस्‍य बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट जो डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय से संबंधित है का ध्यान 20/6/2020 को होने जा रही बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की बैठक की ओर आकर्षित करना चाहते हैं। नौणी विश्वविद्यालय के उपकुलपति ने जब से अपना कार्यभार संभाला है तब से तानाशाही का आचरण करते आए हैं। यहां पद संभालने से पहले रांची कृषि विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी रह चुके और वहां पर भी इन पर कई मामले दर्ज हुए हैं जिनमें भर्ती घोटालों से लेकर कई अन्य बड़ी अनियामिताएं हैं। पूर्व में नौणी विश्वविद्यालय में रीजनल सेंटर के कोऑर्डिनेटर पद पर रहते हुए भी ये कई धांधलीयों में सम्मिलित पाए गए हैं जिन्हें लेखा परीक्षण विभाग द्वारा समय-समय पर उजागर भी किया गया है। और आज उप कुलपति के पद पर आसीन होने पर यह उन सभी अनियमितताओं को भी सेटल करवा रहे हैं।
उपकुलपति 20/6/2020 को होने जा रही बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट नौणी की मीटिंग में कई तरह के छुपे हुए विषयों को ऑन स्पॉट एजेंडा के रूप में रखने जा रहे हैं। यह भी ज्ञात हुआ है कि इन विषयों में नई नियुक्तियों से संबंधित विषय भी हो सकता है जिसमें काफी सारी धांधलीयां हुई है जिसमें भाई भतीजावाद तथा अपनों को खुश करने के लिए वरिष्ठता को नजरअंदाज किया गया है या यूँ कहे तो कई लोगों को पिछले दरवाजे से एंट्री दी जा सकती है जोकि नियमों के बिल्कुल विपरीत होगा क्योंकि इसके लिए फाइनेंसियल अप्रूवल लेना जरूरी होता है। सरकार से आग्रह करते हैं कि वित्त सचिव प्रदेश सरकार जो इस बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के सदस्य रहते हैं को ऐसे दिशा निर्देश दिए जाएं इस तरह के एजेंडे अप्रूव ना हो। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् मांग करती है कि नियुक्तियों में सहायक अध्यापक वह समकक्ष पदों के लिए की गई नियुक्तियों के लिफाफे विज्ञापन के अधार पर ही खोले जाएं उदाहरण के लिए जनवरी 2019 में जो पद विज्ञापित हुए थे उनके सभी के लिफाफे एक साथ ही खोले जाए मगर यहां अपने चहितों को लाभ पहुंचाने के लिए अपनी मर्जी से कुछ पद जनवरी 2019 से तो कुछ मार्च 2019 से लिए गए हैं। देखा जाए तो सभी नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है तो कोई सिस्टम नहीं अपनाया जा रहा है सिर्फ ध्यान इस बात पर दिया जा रहा है कि किस तरह से अपने पीठूयों को ज्यादा से ज्यादा नियुक्ति दे सकें। इसलिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सोलन विभाग सह सयोजक शुभम राठौर का कहना है कि उपरोक्त विषयों को ध्यान में रखते हुए इस तक नियुक्तियों पर जांच करवाई जानी चाहिए या तो रद्द कर देना चाहिए और अगर इस पर कारवाई नहीं की गई तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उग्र आंदोलन करेगा।