परिवार में 60 साल बाद हुआ बेटी का जन्म, खुशी से झूम उठी पूरी फैमिली, जश्न देखते रह गए लोग

बुरहानपुर. मध्य प्रदेश के बुरहानपुर के एक किसान फैमिली ने अपने परिवार को नारी के सम्मान करने वाले परिवार के रूप में परिचय दिया है. शहर के अग्रवाल परिवार में 6 दशक बाद बेटी का जन्म हुआ. इस खूशी में किसान प्रकाश अग्रवाल ने अपनी पोती की जन्मदिन पार्टी ऐसी मनाई कि यह पार्टी अब पूरे शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है. केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की शिवराज सरकार समाज में बेटियों के सम्मान के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और बेटी बढ़ाओ जैसे अभियान चला रही है. अब इन अभियानों का धऱातल पर असर भी होता दिखाई दे रहा है. इसकी ताजी बानगी बुरहानपुर के एक किसान परिवार में देखने को मिली मालीवाड़ा निवासी किसान प्रकाश अग्रवाल के घर 60 साल बाद उनके पुत्र के यहां बेटी ने जन्म लिया.

इस परिवार में बेटी ने क्या जन्म लिया मानो भगवान ने सारी खुशियां इनको दे दी. बेटी के जन्म होने पर बेटी का हर महीने जन्मदिन मनाया गया. हर सामाजिक, धार्मिक, रीती रिवाज भी धूमधाम से किए गए. समाज में बेटा-बेटियों में फैले अंतर को मिटाने के लिए अग्रवाल परिवार ने अपने परिवार के नए मेहमान रीती अग्रवाल की जन्मदिन की पार्टी ऐसे मनाने का फैसला किया जिसको देखकर लोगों में बेटी के पैदा होने पर नकारात्मक सोच बदले.

अग्रवाल परिवार ने अपने परिवार में जन्मी बेटी रीती अग्रवाल का पहला जन्म दिवस कुछ इस तरह मनाया जैसे कोई वृहद स्तर पर शादी का आयोजन हो.जिस तरह शादी के समय दुल्हा-दुल्हन का प्रीवेंडिंग शूट किया जाता है. परिवार ने अपनी खास मेहमान के खास जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए प्री बर्थडे शूट कराया. इसके बाद शहर की नामचीन होटल में एक भव्य आयोजन किया गया जिसमें समाज के अलग-अलग वर्ग के लोगों को आमंत्रित किया गया. बर्थडे पार्टी में शामिल होने वाले मेहमान बेटी के बर्थडे को किसी विवाह समारोह की तरह आयोजित करने पर हैरान रह गए. अब बेटी की यह बर्थडे पार्टी पूरे शहर में चर्चा का विषय बन गई है.

इस पार्टी में अग्रवाल परिवार ने अपनी बहु पूर्वा अग्रवाल की माता और उनकी नानी को भी आमंत्रित किया. मंच पर अपनी पोती, बहु, बहु की माता और नानी चारों महिलाओं को एक साथ खड़ा कर उनका सम्मान कर यह साबित किया उनका परिवार नारी का सम्मान करने वाला परिवार है. अपने परिवार में 60 साल बाद बेटी के जन्म लेने पर पिता भी काफी खूश है. उनका कहना है कि बेटी और बेटे में समानता की मानसिकता लाने के लिए सरकार तो पहल कर रही है, लेकिन अब समाज को भी आगे आना होगा.