शिमला, कोटी और शिलोनबाग में सडक़ के किनारे गाडिय़ां खड़ी कर चख रहे स्वाद, छोटा 20 तो बड़ा 30 रुपए का मिल रहा एक भुट्टा
स्टाफ रिपोर्टर-शिमला
राजधानी शिमला सहित पर्यटन स्थलों कुफरी, शिलोनबाग, कोटी व जनेड़घाट आदि में भुट्टों के लोग खूब चटकारे ले रहे है और खासतौर पर पर्यटकों में पहाड़ी मक्की को लेकर खूब दिलचस्पी बनी हुई है। सडक़ के किनारे मक्की भून रहे गरीब लोगों की भुट्टे बेचकर अच्छी कमाई हो रही है। भुट्टे देखकर सैलानियों के मुंह में पानी आ जाता है
और गाड़ी रोककर भुट्टे खरीद रहे है। शिमला के टूटीकंडी जंक्शन पर भुट्टे बेचने वाले संदीप गुप्ता व शिलोनबाग में मक्की भून रहे राजेश ने बताया कि पर्यटक काफी मात्रा में भुट्टे खरीद रहे हैं और प्रतिदिन कच्चे भुट्टे की एक बोरी लग रही है।
भुने हुए छोटे भुट्टे की कीमत 20, जबकि बड़ी मक्की की कीमत 30 रुपए रखी है। भुट्टे जहां स्वाद व पौष्टिकता से भरपूर है, वहीं पर भुट्टे में विटामिन व खनिज तत्त्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। ग्रामीण क्षेत्रों में मक्की का उपयोग विभिन्न प्रकार से किया जाता हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मक्की का काफी मात्रा में प्राचीन समय से उत्पादन किया जाता रहा है।
किसानों का नकदी फसलों के प्रति रूझान बढऩे से मक्की उत्पादन में कमी आई है। ग्रामीण क्षेत्रों में कच्ची मक्की का उपयोग भुट्टे के अलावा सत्तू व पचैले बनाने के लिए भी किया जाता है। किसान प्रीत्तम ठाकुर, देशराज व राकेश कुमार आदि का कहना है कि सर्दियों के दिनों में मक्की की रोटी का उपयोग पहाड़ों में हर घर में किया जाता है, क्योंकि मक्की की रोटी की ताहसीर भी गर्म होती है ।
चूल्हे में लकड़ी की आग से तैयार मक्की की रोटी का स्वाद ही निराला होता है। सरसों का साग अथवा अरबी की सब्जी के साथ मक्की की रोटी के खाने का मजा ही कुछ अलग है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार मक्का में फाइबर काफी मात्रा में उपलब्ध होता है,
जिसके उपयोग से शरीर में कॉलेस्ट्रॉल स्तर को सामान्य बनने के अतिरिक्त हृदय संबधी रोगों से भी बचाव रहता है। मक्का के दैनिक जीवन में उपयोग से मनुष्य के शरीर में आयरन की कमी भी पूरी होती है।