नई दिल्ली. भारत ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के निर्माण का कड़ा विरोध किया
है. विदेश मंत्रालय ने साफ शब्दों में कहा कि वह तथाकथित सीपीईसी परियोजना का दृढ़ता के साथ लगातार विरोध करता रहा है. यह पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जा की गई भारतीय जमीन पर बनाया जा रहा है.
यह अवैध है, जिसे मंजूर नहीं किया जा सकता. चीन और पाकिस्तान के बीच निर्माणाधीन इस परियोजना में अब दोनों देशों ने तीसरे पक्ष को भी शामिल होने का न्योता दिया है. इसे लेकर भारत ने फिर कड़ी आपत्ति जताई है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मंगलवार को कड़े शब्दों में कहा कि सीपीईसी परियोजना मूल रूप से अवैध है. उन्होंने कहा कि हमने तथाकथित सीपीईसी परियोजनाओं में तीसरे देशों की प्रस्तावित भागीदारी को प्रोत्साहित करने पर रिपोर्टें देखी हैं. किसी भी पक्ष द्वारा इस तरह की कोई भी कार्रवाई सीधे तौर पर भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन माना जाएगा. उसे अवैध मानकर ही भारत व्यवहार करेगा.
चीन-पाकिस्तान ने दिया तीसरे पक्ष को न्योता
विदेश मंत्रालय ने यह बयान उन खबरों को देखते हुए दिया है, जिनमें कहा गया है कि पाकिस्तान और चीन ने अरबों डॉलर की सीपीईसी परियोजना में तीसरे देशों को शामिल होने का न्योता दिया है. यह कदम अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समन्वय (JWG-ICC) पर सीपीईसी के संयुक्त कार्य समूह (JWG) की तीसरी बैठक में पिछले सप्ताह उठाया गया.
सीपीईसी पर पाकिस्तान और चीन की यह साझा बैठक पिछले सप्ताह वर्चुअल तरीके से हुई थी. सीपीईसी 2015 में पाकिस्तान में सड़कों, ऊर्जा परियोजनाओं और औद्योगिक क्षेत्रों का निर्माण करके पाकिस्तान और चीन के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने के इरादे से शुरू की गई है.
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गलियारा अफगानिस्तान तक बढ़ाने की तैयारी
दरअसल, चीन व पाकिस्तान अब इसे चर्चित आर्थिक गलियारे को अफगानिस्तान तक बढ़ाने की संभावना पर विचार कर रहे हैं. पाकिस्तान और चीन ने इस संबंध में रणनीति बनाई है. पाकिस्तान के विदेश सचिव सोहेल महमूद ने अफगानिस्तान पर चीन के विशेष दूत यू शियाओओंग से इस संबंध में मुलाकात की थी.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में राजनीतिक और सुरक्षा की स्थिति, पाकिस्तान और चीन द्वारा अफगानिस्तान को मानवीय मदद और आपसी