सीपीएम ने ओपीएस बहाली के लिए नई पेंशन योजना कर्मचारियों द्वारा चलाए आंदोलन का किया समर्थन
स्टाफ रिपोर्टर-शिमला
नई पेंशन योजना कर्मचारियों द्वारा पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए चलाए जा रहे आंदोलन का सीपीएम ने समर्थन किया है। सीपीएम ने सरकार से मांग की है कि प्रदेश में कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को तुरंत बहाल किया जाए तथा केंद्र सरकार तुरंत राष्ट्रीय पेंशन योजना को रद्द करने तथा पुरानी पेंशन योजना के लिए संसद में कानून पारित कर इसे बहाल किया जाए। सीपीएम जिला सचिव एवं पूर्व नगर निगम मेयर संजय चौहान ने कहा कि नई पेंशन योजना या राष्ट्रीय पेंशन योजना सरकार द्वारा 1991 के बाद देश व प्रदेश में अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष व विश्व बैंक द्वारा निर्देशित नवउदारवाद की नीतियों के तहत लागू की जा रही है। इन नीतियों के चलते सरकार मजदूर, किसान, कर्मचारी व आम जनता के वेतन व आमदनी में कटौती कर रही है।
एक ओर आम जनता पर टैक्स का बोझ डाल कर उनका संकट बढ़ा रही है दूसरी ओर बड़े पूंजीपतियों व कॉरपोरेट घरानों को जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे से हर वर्ष लाखो करोड़ रुपए की छूट दे रही है। इससे आज अमीर और अमीर और गरीब और गरीब हो रहा है। नई पेंशन योजना भी सरकार की इन्हीं कॉरपोरेटपरस्त नवउदारवादी नीतियों का ही नतीजा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 2003 के पश्चात भर्ती हुए करीब 1.12 लाख कर्मचारी है जो इस नई पेंशन योजना में शामिल किए गए हैं और आज इसके विरुद्ध आंदोलन कर रहे है। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा ने कर्मचारियों से वायदा किया था कि यदि उसकी सरकार बनती है तो वह पुरानी पेंशन योजना को लागू करेगी। परन्तु आज करीब 5 वर्ष पूरे होने को जा रहे हैं सरकार ने अभी तक इसकी बहाली के लिए कोई भी कदम नहीं उठाए हैं और अब वायदा खिलाफी कर रही है। सरकार केवल कमेटी बनाकर व बैठक कर कर्मचारियों को उलझाने का काम कर रही है। इससे सरकार की नीयत स्पष्ट है कि सरकार पुरानी पेंशन योजना को बहाल नही करना चाहती है। उन्होंने कहा कि नई पेंशन योजना कर्मचारियों के संगठन के द्वारा लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना की अपनी मांग के लिए चलाया जा आंदोलन बिल्कुल उचित है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लागू की जा रही इन जनविरोधी नवउदारवादी नीतियों को पलटने के लिए मिलकर संघर्ष करना होगा और पार्टी इन नीतियों के विरुद्ध मजदूरों, किसानों, कर्मचारियों, छात्रों, युवाओं व अन्य सभी वर्गों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलनो में पूर्ण सहयोग करती है और यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जबतक इन नीतियों को पलट कर जनहित की वैकल्पिक नीतियों को देश में लागू न किया जाए।