फाइनेंशियल फ्रीडम पाना चाहते हैं तो जरूर पढ़ें यह स्टोरी, हो सकता है बदल जाए आपकी लाइफ!

नई दिल्ली. आज़ादी अथवा फ्रीडम के मायने बहुत विस्तृत हैं. अंग्रेजों के अधीन रहते हुए देश की आजादी की जितनी अधिक तलब थी, आज उतनी ही तलब फाइनेंशियल फ्रीडम की महसूस होती है. यदि किसी के पास फाइनेंशियल फ्रीडम नहीं है तो वह अंग्रेजों का गुलाम बेशक न हो, लेकिन उसे नौकरी करने में भी गुलामी महसूस होती होगी.

फाइनेंशियल फ्रीडम की भी कोई एक परिभाषा नहीं है. अमेरिकी फाइनेंशियल एडवाइजर और ऑथर सुसान ऑर्मन के अनुसार, “फाइनेंशियल फ्रीडम वो है, जब आपका दिल और दिमाग इस बात की चिंता से मुक्त हो कि – ऐसा हो तो क्या?” बिजनेसमैन और रिच डैड पुअर डैड के ऑथर रॉबर्ट टी कियोसाकी के शब्दों में, “डर से आजादी ही वित्तीय आजादी है.” सेलिब्रिटी लाइफ कोच टोनी रॉबिन्स के अनुसार, आजादी है- “आप काम करते हैं क्योंकि आप काम करना चाहते हैं, न कि आपको करना पड़ रहा है.” यदि हम एक साधारण वाक्य में फाइनेंशियल आजादी की बात करें तो इसका अभिप्राय है कि आपके पास जिंदगी एन्जॉय करने के लिए समय हो, और अपने परिवार के साथ बिताने के लिए टाइम हो.

क्यों जरूरी है फाइनेंशियल फ्रीडम?
काम का बढ़ता तनाव, घटती वर्किंग लाइफ, एकल परिवारों का चलन, तेजी से बदलती दुनिया जैसी कई चीजें हैं, जो जीवन को कठिन बना रही हैं. ये कुछ मुख्य कारण है, जिनके चलते फाइनेंशियल फ्रीडम ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है. आपको FIRE का कॉन्सेप्ट समझना चाहिए. FIRE मतलब फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस, रिटायर अर्ली (Financial independence, retire early). आज यह कॉन्सेप्ट नई जेनरेशन में काफी पॉपुलर हो रहा है.

यह कॉन्सेप्ट पॉपुलर हो रहा है, लेकिन इसके तहत आपको अपनी आय में से 70 फीसदी हिस्सा सेविंग्स में रखना जरूरी है. इसी सेविंग्स के बल पर आप जल्दी रिटायर हो सकते हैं और अपने रोजमर्रा के खर्चों के लिए पैसा निकाल सकते हैं.

फाइनेंशिल फ्रीडम का कौन-सा लेवल आपको चाहिए?
वित्तीय आजादी पाने से पहले आपको यह तय करना होगा कि आपको फाइनेंशियल आजादी का कौन-सा लेवल पाना है. इस आजादी को 8 स्तरों में बांटा जा सकता है. इन्हीं स्तरों में से हम किसी एक लभ्य या स्तर को पाने के लिए कोशिश करते हैं.

1. बचत और निवेश – जो लोग जितना कमाते हैं, उतना ही खर्च कर देते हैं, उनको इमरजेंसी के लिए कुछ फंड की जरूरत सबसे ज्यादा होगा. किसी भी आपातकाल के लिए जरूरी फंड आपके पास होना चाहिए. इसके लिए आप हर महीने कुछ बचा सकते हैं. यदि आप यंग हैं तो यहीं से शुरुआत करना एक अच्छी रणनीति हो सकती है.
2. कर्ज मुक्ति – मैं कई ऐसे लोगों से मिला हूं, जिन्होंने अपने शॉर्ट टर्म लक्ष्य हासिल करने के लिए काफी ज्यादा लोन लिया हुआ है. उनके लिए कर्ज से मुक्त होना ही प्राथमिकता होनी चाहिए और यह उनके लिए सबसे बड़ी फाइनेंशियल फ्रीडम होगी.
3. सहजता से बचत – ज्यादा मितव्ययी (कम खर्च करने वाला) होने की बजाय, अपने लॉन्ग टर्म गोल्स के आधार पर निवेश के लिए 30 फीसदी तक सेविंग हम से कइयों की प्राथमिकता हो सकती है. जब मैंने अपना बिजनेस शुरू किया था, फाइनेंशियल फ्रीडम के लिए यही मेरा पहला टार्गेट था.
4. वर्क-लाइफ बैंलेंस – कुछ लोगों के लिए वर्क-लाइफ बैलेंस को मेनटेन करना ही फाइनेंशियल फ्रीडम है. जब आप रेगुलर छुट्टियों के लिए समय निकालते हैं और अपनी पसंद या शौक पूरे करते हैं तो आपको अच्छा लगता है. यह जिम में जाकर वर्कआउट करने से लेकर दोस्तों के साथ कुछ खेलना या कोई म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट सीखना इत्यादी में से कुछ भी हो सकता है.
5. लम्बी छुट्टी – कुछ लोग अपने सपनों या अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं. या फिर वे वर्ल्ड टूर पर निकलना चाहते हैं. ऐसे लोगों के अपनी नौकरी से एक लम्बी छुट्टी की दरकार होती है और यही उनके लिए फाइनेंशियल फ्रीडम भी है. यह तभी संभव है, जब आपके पास अच्छा निवेश और इमरजेंसी फंड हो.
6. रिटायरमेंट के बाद छोटे खर्चे – जहां आप फिलहाल रह रहे हैं, वहां की बजाय रिटायरमेंट के बाद किसी छोटे से शहर या कस्बे में रहने के लिए अच्छा अमाउंट हाथ में होना भी फाइनेंशियल फ्रीडम हो सकती है.
7. स्पीड कायम रखना – जिंदगी जैसी अब चल रही है, रिटायरमेंट के बाद भी उसी गति के साथ चलती रहे, यह भी फाइनेंशियल फ्रीडम हो सकती है. दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए आपको अच्छे खासे फंड की जरूरत पड़ेगी. किसी भी तरह की बुरी स्थिति से निपटने के लिए आपके पास अच्छा फंड होना चाहिए.
8. लगातार चलते रहना – सुरक्षा के साथ रिटारय होना. इतना पैसा होना कि वर्तमान लाइफस्टाइल भी मेनटेन रहे. सभी गोल कवर हों, कहीं घूमने जाने के लिए अच्छा पैसा मौजूद रहना, और इसके बाद भी अपनी अगली पीढ़ी के लिए कुछ छोड़कर जाना भी फाइनेंशियल फ्रीडम का एक स्तर है.

स्तर निर्धारित करने के बाद क्या?
जब आप अपने लिए एक स्तर निर्धारित कर लेंगे तो फिर अगला कदम उठाना होगा. अगला कदम है फाइनेंशियल प्लान को अचीव करना. स्पष्ट, पाए जा सकने वाले लक्ष्य, और उन्हें पाने के लिए काम में जुटना. ‘वित्तीय योजना’, या अन्य भारी शब्दजालों से भयभीत न हों. फाइनेंशियल प्लानिंग कोई इंटलेक्चुअल पहलू नहीं है, बल्कि यह व्यवहारिक है.

रोनाल्ड रीड का शानदार उदाहरण
मॉर्गन हाउसेल की किताब ‘द साइकोलॉजी ऑफ मनी’ फाइनेंशियल प्लानिंग पर बेहतरीन सीख देती है. इसका एक उदाहरण इसे समझने के लिए अच्छा है. रोनाल्ड रीड ने 2014 में अपनी मृत्यु के समय पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरीं. वह उस वर्ष मरने वाले लगभग 3 मिलियन अमेरिकियों में से उन 4,000 में शामिल थे, जिनकी वर्थ 8 मिलियन डॉलर से अधिक थी.

रीड ने 25 साल तक कारों को ठीक करने वाले गैस स्टेशन पर काम किया और 17 साल तक फर्श पर पोंछा लगाया. कभी चौकीदारी का काम कर चुके इस व्यक्ति ने अपने सौतेले बच्चों के लिए $2 मिलियन और एक स्थानीय अस्पताल और पुस्तकालय के लिए $6 मिलियन से अधिक रुपये छोड़े. रीड ने अधिकतम बचत के लिए जो अनुशासन फॉलो किया, वह बेहतरीन है. उन्होंने अच्छे ब्लू-चिप शेयरों में किया और निवेश को लेकर धैर्य बनाए रखा.

फाइनेंशिल प्लानिंग को लेकर यहां मैं अनुशासन पर जोर देना चाहता हूं. आपको अपने खर्च और निवेश को लेकर अनुशासित होना चाहिए. ये अनुशासन ही आपको इस बात के लिए आश्वस्त करता है कि आप अपने निर्धारित लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं और वह उसी समय के दौरान. इसलिए कहा जाता है कि फाइनेंशियल प्लानिंग एक व्यवहारिक पहलू है, जो आपको फाइनेंशियल फ्रीडम तक पहुंचाता है. रोनाल्ड ने 7वां स्तर पाया.

जैसा कि हम भारत की आजादी के 75 वें वर्ष का जश्न मनाते हैं, तो आइए वित्तीय स्वतंत्रता के लिए एक लक्ष्य स्तर निर्धारित करें, और इसके लिए काम करें. आइए अपने जीवन के रोनाल्ड रीड होने की यात्रा शुरू करें.