कोलकाताः पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले के आरोप में गिरफ्तार कैबिनेट मंत्री पार्थ चटर्जी एक नए मामले में घिरते दिख रहे हैं. उनके खिलाफ कोलकाता हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है.
इसमें आरोप लगाया गया है कि पार्थ ने अपने अंगरक्षक के 10 रिश्तेदारों को स्कूल में नौकरियां पाने में मदद की. हाईकोर्ट ने इस मामले के भी मूल केस के साथ जोड़ने का निर्देश दिया है. साथ ही, याचिकाकर्ता से 17 अगस्त तक विस्तृत डिटेल्स देने के लिए कहा है.
याचिकाकर्ता के वकील सुदीप्तो दासगुप्ता ने बताया कि कैबिनेट मंत्री पार्थ चटर्जी के बॉडीगार्ड का नाम बिशंभर मंडल है. वह ईस्ट मिदनापुर जिले के चांदीपुर का रहने वाला है. इस भर्ती घोटाले में उसके कई रिश्तेदारों को भी नौकरियां बांटी गई हैं. इनमें उसके दोनों भाई बंग्शागोपाल और देव गोपाल शामिल हैं. इनके अलावा उसके दूसरे भाईयों को भी नौकरियां मिली हैं. उन्होंने बताया कि हमने हाईकोर्ट में ये मुद्दा उठाया है. अदालत ने इसे भी मेन एसएससी भर्ती घोटाले के मुकदमे के साथ जोड़ने का आदेश दिया है. इसके अलावा 17 अगस्त तक नौकरियों के बारे में विस्तार से डिटेल्स देते हुए हलफनामा दाखिल करने को कहा है.
इधर, राज्य के उद्योग और वाणिज्य मंत्री पार्थ चटर्जी को ईडी एम्स भुवनेश्वर में स्वास्थ्य जांच के बाद कोलकाता वापस ले आई है और उनसे ईडी कार्यालय में पूछताछ की जा रही है. सत्तारूढ़ टीएमसी के महासचिव चटर्जी को ईडी ने 23 जुलाई को गिरफ्तार किया था. वह 2014 से 2021 के दौरान राज्य के शिक्षा मंत्री थे. ये कथित घोटाला उसी दौरान का बताया जा रहा है. 22 जुलाई को पार्थ चटर्जी के घर पर छापे में ईडी ने घोटाले से जुड़े कई दस्तावेज बरामद करने का दावा किया था. ईडी के मुताबिक, उसे प्राथमिक शिक्षक पदों के 48 आवेदकों की रोल नंबर समेत सूची, ग्रुप डी स्टाफ की नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज, भर्ती परीक्षाओं के प्रवेश पत्र और उम्मीदवारों की एक लिस्ट वाला टीएमसी के एक पूर्व विधायक का लेटरहेड बरामद हुआ है. इससे पहले, ईडी ने पार्थ की सहयोगी अर्पिता के ठिकानों से तलाशी में 21 करोड़ रुपये नकद और अन्य सामान जब्त किया था.
बंग्शागोपाल अपने इलाके में टीएमसी के नेता भी हैं. News18 से बातचीत में उन्होंने मुकदमे को राजनीतिक बदले की भावना से लगाए गए आरोप करार दिया. उन्होंने कहा कि हम सभी को उचित माध्यमों से ही नौकरी मिली है. इन लोगों को जलन हो रही है, इसलिए ये आरोप लगा रहे हैं. यह पूछे जाने पर कि सभी को एक ही समय में नौकरी कैसे मिल गई, इस पर उन्होंने सीधा जवाब न देते हुए कहा कि यह सब राजनीति है और उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है. सूत्र बताते हैं कि बिश्वंभर पार्थ चटर्जी के अंगरक्षक हुआ करते थे, लेकिन कुछ समय से उनके घर नहीं गए क्योंकि पूरे इलाके में उनके बारे में चर्चाएं हो रही हैं.