बकरीद के दिन बकरे की ही कुर्बानी क्यों दी जाती है, किसी और जानवर की क्यों नहीं?

आज बकरीद (Bakrid 2022) का त्योहार देश-विदेश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. ये इस्लाम धर्म का बेहद महत्वपूर्ण त्योहार (Bakr eid) है जिसकी तैयारी कई दिनों से शुरू हो जाती है. धू-अल-हिजाह इस्लामिक कैलेंडर का आखिरी महीना होता है. उसके आठवें दिन हज शुरू होकर तेरहवें दिन खत्म होता है और ईद-उल-अजहा (Eid al-Adha) यानी बकरीद इसी के बीच में इस इस्लामिक महीने की 10 तारीख को मनाया जाता है. अंग्रेजी के कैलेंडर के हिसाब से यह तारीख हर साल बदलती रहती है, क्योंकि इस्लामिक कैलेंडर, अंग्रेजी कैलेंडर से 11 दिन छोटा होता है.

बकरीद के दिन सिर्फ बकरे की कुर्बानी देने का बड़ा कारण है.

हमने ये तो आपको बता दिया कि बकरीद कब मनाई जाती है, मगर क्या आपने कभी ये सोचा है कि बकरीद को बकरे (Why goat sacrificed on Bakrid) के नाम पर क्यों रखा गया, यानी इस दिन आमतौर पर बकरे की ही कुर्बानी क्यों दी जाती है, किसी और जानवर की क्यों नहीं? इस्लाम में बकरीद के दिन कुर्बानी काफी अहम होती है. मगर बकरे की कुर्बानी (Story behind sacrificing goat on Bakrid) देने का कारण पुरानी मान्यता से जुड़ा है.

पुरानी मान्यता से जुड़ा है बकरे काटने का रिवाज
इसके तार जुड़े हैं हजरत इब्राहिम से. मान्यताओं के अनुसार एक बार अल्लाह ने इब्राहिम की निष्ठा को परखने का फैसला किया. वो हजरत इब्राहिम के सपने में आए और अपने दिल के सबसे नजदीक किसी चीज की कुर्बानी देने को कहा. अल्लाह को अपनी निष्ठा और उनपर अपना भरोसा दिखाने के लिए इब्राहिम ने अपने दिल के टुकड़े, यानी अपने बेटे इस्माइल को बलि के लिए चुना. उन्होंने फैसला किया कि वो अल्लाह के लिए अपने बेटे को कुर्बान कर देंगे. जैसे ही उन्होंने उसका गला काटा, अल्लाह ने इस्माइल की जगह एक दुंबे को खड़ा कर दिया. दुंबा, बकरे की ही प्रजाति का एक जीव है. तब से इब्राहिम की निष्ठा और समर्पित होने की भावना का जश्न मनाने के लिए बकरीद मनाई जाती है और बकरे को कुर्बान किया जाता है क्योंकि अल्लाह ने भी इस्माइल की जगह बकरे को ही कुर्बान करवाया था.

3 भागों में बांटते हैं कुर्बानी का बकरा
वैसे कई बार लोग अन्य जीवों की भी कुर्बानी देते हैं मगर बकरा सबसे प्रमुख जीव है जो इस त्योहार में कुर्बान किया जाता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कुर्बानी सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए है जो जानवर को कुर्बान करने की हैसियत रखते हैं. जिनके पास पैसे नहीं है, या जो गरीब है, उन्हें कुर्बानी का मीट दान किया जाता है. आज के वक्त में जानवरों को तीन भागों में काटा जाता है. एक भाग गरीबों में दान किया जाता है. दूसरा भाग दोस्तों और रिश्तेदारों को दिया जाता है और बचा हुआ हिस्सा परिवार के लोग खाते हैं.