मध्य प्रदेश के अमृतलाल ने इस बात को साबित कर दिया कि नामुमकिन कुछ भी नहीं होता. इंसान अगर ठान ले तो वो कठिन से कठिन लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है. मुरैना के रहने वाले अमृतलाल एक समय में दिहाड़ी मजदूर हुआ करते थे. उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सकें, मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी.
अपने बेटों को पढ़ाने के लिए उन्होंने मेहनत-मजदूरी की, कर्ज लिया, इससे भी काम नहीं चला तो उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन तक गिरवी रख दी. नतीजा सबके सामने हैं. आज अमृतलाल के तीनों बेटे पायलट हैं. जहां उनका बड़ा बेटा अजय अब पिता के साथ मिलकर सस्ता फ्लाइट सिम्युलेटर बना रहा है, ताकि गरीबों के बच्चे पायलट बनने का सपना देख सकें. वहीं उनके दोनों छोटे बेटे अपनी नौकरी में रौशन कर रहे हैं
अमृतलाल के समर्पण को सलाम!