कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर में 3 जून को हिंसा फंडिंग के मामले में शहर के मशहूर बिरयानी दुकानदार के मालिक बाबा बिरयानी के नाम से 10 से ज्यादा आउटलेट चलाने वाले मुख्तार बाबा को लोन देने वाले बैंक कर्मी भी प्रशासन की रडार पर आ गए हैं. यह लोन करना अब उन्हें महंगा पड़ सकता है मगर क्यों आइए जानते हैं.
मुख्तार बाबा हिंसा में फंडिंग को लेकर सुर्खियों में आया उसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए उसे जेल भेज दिया, लेकिन बाबा बिरयानी का मालिक पहले भी शहर में कई बार चर्चाओं में रहा है. दरअसल, शत्रु संपत्ति पर कब्जा किए जाने और मंदिर को तोड़कर बिरयानी की दुकान बनाने का भी आरोप इस पर रहा है. उसी शत्रु संपत्ति के नाम पर मुख्तार बाबा ने बैंक ऑफ बड़ौदा से एक करोड़ 60 लाख का लोन कराया जब यह संपत्ति शत्रु संपत्ति में शामिल थी या जांच के दायरे में थी तो ऐसे में बैंक के अधिकारियों कर्मचारियों ने इतना बड़ा लोन इस संपत्ति पर कैसे दे दिया है. यह यूपी प्रशासन के लिए जांच का विषय बन गया है.
जिलाधिकारी विशाख ने कलेक्ट्रेट में एक बैठक बुलाई जिसमें शत्रु संपत्तियों पर दिए गए अवैध तरीके से लोन के मामले में सवाल उठाया गया. इस पर शत्रु संपत्ति संरक्षण संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि मुख्तार बाबा निजी संपत्तियों पर लोन लिया है. वह शत्रु संपत्तियां हैं और बैंक ने उन्हें किस तरह लोन दिया इसकी जांच कराई जानी चाहिए. उन्होंने यह भी आरोप लगाया की बैंक की मिलीभगत से ही शत्रु संपत्ति पर लोन दिया गया है, जबकि कानूनन विवादित जगह पर जिसकी जांच सरकार कर रही हो. उस पर लोन देना गैरकानूनी है ऐसे में बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
डीएम ने निर्देशित किया है कि बैंक के कर्मचारी पूरे कागजात प्रस्तुत करें, जिसके आधार पर लोन दिया गया है. यदि इसमें किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो बैंक के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी. जिलाधिकारी ने शत्रु संपत्तियों को लेकर चल रही जांच को भी दोबारा से शुरू किए जाने को लेकर टीम बनाने के निर्देश दिए हैं जल्द ही मुख्तार बाबा से जुड़ी हुई शत्रु संपत्तियों और अन्य शत्रु संपत्तियों को लेकर शहर में जांच की जाएगी.