दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जो जरूरतमंद इंसानों के प्रति अपनी दयालुता दिखाते हैं. उनके लिए खाने से लेकर पैसों तक की व्यवस्था करते हैं. लेकिन बेजुबान जानवरों के प्रति दया रखने वाले इंसान बहुत कम ही मिलते हैं. ऐसे ही चंद लोगों में कुछ ऐसे इंसानियत के फ़रिश्ते भी हैं जिन्होंने जरूरतमंद जानवरों को सिर्फ एक वक्त खाना खिला कर ही अपना पशु प्रेम नहीं दिखाया, बल्कि इन लोगों ने इन मासूमों के नाम अपनी जिंदगी कर दी है.
आइए आपको आज मिलवातें उन फरिश्तों से जिन्होंने सड़क पर रहने वाले इन बेसहारा मासूमों को न केवल सड़क से उठाया बल्कि इन्हें नई जिंदगी दी :
1. हेमंत यादव
हेमंत की ये कहानी शुरू हुई थी करीब 8 साल पहले. उन दिनों उनकी गली में एक कुत्ता था जिसे कीड़े पड़ गए थे. हेमंत ने उसे बचाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो बच नहीं सका. उस कुत्ते की मौत ने हेमंत की जिंदगी बदल दी.
नेशनल लेवल के शूटर रह चुके हेमंत आज अपने परिवार से दूर रह कर सड़क पर पड़े बीमार व घायल जानवरों की मदद करते हैं. उनके द्वारा रेस्क्यू किये जाने वाले जानवरों में ज्यादातर कुत्ते, बिल्ली, गाय, बंदर होते हैं. उनका केयर सेंटर करीब एक एकड़ में बना हुआ है, जहां 200 से ज्यादा जानवर रहते हैं. हेमंत इन जानवरों की सेवा में इतना रम चुके हैं कि वह घर भी महीने में एक-दो बार ही जाते हैं.
2. कावेरी भारद्वाज
Hundred plus Broken, abused, disabled, senior animals call @SmartSanctuary their forever home 🏡
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नोएडा की रहने वाली कावेरी राणा भारद्वाज को लोग डॉग मदर के नाम से जानते हैं. कावेरी बेसहारा जानवरों का सहारा बनी हुई हैं तथा एक मां की तरह उनकी सेवा करती हैं. जानवरों से लगाव रखने वाली कावेरी उन्हें दुःख में नहीं देख पाती और उन्हें अपने घर ले आती हैं. इनमें कुत्ते से लेकर मछली तक जैसे जीव शामिल हैं.
कहा तो यहां तक जाता है कि कावेरी की मदद वन विभाग के लोग भी लेते हैं. कावेरी इन जानवरों की देखभाल के लिए फंड इकट्ठा करती हैं. उन्हीं चंदे के पैसों से उन बेजुबानों के खाने, पीने और रहने का प्रबंध करती हैं.
3. रानी
यूपी के बांदा जिले के कटरा की रहने वाली 60 वर्षीय बुजुर्ग महिला रानी ने पशु प्रेमियों के लिए एक मिसाल कायम कर दी है. वह जानवरों की सेवा के लिए अपना घर छोड़कर जानवरों के बीच जंगलों में कुटिया बना कर रहती है. रानी इन बेजुबानों के खाने-पीने और सुरक्षा का ध्यान रखती हैं.
कई सालों से बागै नदी के करीब देवी स्थान के पास एक कुटिया में रहने वाली रानी को यही चिंता रहती है कि कहीं यूपी और एमपी के जंगलों में बंदरों का जीवन पानी की कमी से संकट में न पड़ जाए. इसीलिए वो अपना घर छोड़कर जंगलों में उनकी जी जान से सेवा कर रही हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रानी पिछले 8 सालों से जंगल में अपनी एक झोपड़ी में रहते हुए इन बंदरों की सेवा कर रही हैं. रानी का भरापूरा परिवार है. जिसमें उनके तीन बेटे और उनका परिवार शामिल है. लेकिन इसके बावजूद उनका कहना है कि वह अपने आखिरी दम तक इस काम को करती रहेंगी.
4. बौद्ध भिक्षु जिआंग
51 वर्षीय Zhi Xiang एक बौद्ध भिक्षु हैं. ये कई साल से आवारा कुत्तों को बचाने का नेक काम कर रहे हैं. आपको जानकार आश्चर्य होगा कि जिआंग लगभग 8000 कुत्तों की देखभाल करते हैं. वह इन आवारा कुत्तों को एक मंदिर में बने शेल्टर में रखते हैं. जिआंग का मानना है कि यदि उन्होंने इन कुत्तों को सड़कों से उठाकर सहारा ना दिया होता, तो वे निश्चित ही मर गए होते.
जिआंग 1994 से ही इन बेजुबानों को सहारा देने का काम कर रहे हैं. शुरुआत में वह केवल उन्हीं आवारा कुत्तों को बचाते थे, जिन्हें बिल्लियों के पीछे भागते हुए या फिर कार या बाइक से चोट लग गई या उनका पैर टूट गया. लेकिन, अब इनके पास आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ने लगी है. ये अब हर ज़रूरतमंद जानवर को अपने शेल्टर में ले आते हैं और उनका इलाज कर उनकी अच्छे से देखभाल करते हैं. कुत्तों को ही नहीं, बल्कि जिआंग बिल्लियों को भी सहारा देते हैं. इनके शेल्टर में कई बिल्लियां हैं.
5. वंशिका गुप्ता
प्रयागराज की रहने वाली वंशिका गुप्ता गली-कूचों में घायल, बीमार और ठण्ड से परेशान पशुओं को अपने घर ले आती हैं और उन्हें पनाह देती हैं. वह सैकड़ों घायल और बीमार जानवरों को सड़क से उठा कर अपने घर ले आई हैं. वह इनकी बड़ी शिद्दत से सेवा और इलाज करती हैं.
अभी भी वंशिका के घर में कुल 50 से ज्यादा आवारा जानवर हैं. जिन्हें तरह-तरह की बीमारियां हैं. वंशिका सभी जानवरों का इलाज कर रही हैं. वंशिका पिछले करीब 8 सालों से यह काम कर रही हैं और अब तक हजारों आवारा पशुओं का इलाज कर चुकी हैं.