बेनामी संपत्ति को धारा 118 में मंजूरी देने पर हिमाचल हाईकोर्ट का सचिव को नोटिस

सोलन जिले के सनवारा में बेनामी संपत्ति के लिए राज्य सरकार की ओर से धारा 118 में मंजूरी दिए जाने को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई है। प्रदेश हाईकोर्ट ने सचिव राजस्व को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

हिमाचल  हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के सनवारा में बेनामी संपत्ति के लिए राज्य सरकार की ओर से धारा 118 में मंजूरी दिए जाने को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई है। प्रदेश हाईकोर्ट ने सचिव राजस्व को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। याचिका में उपायुक्त सोलन और तहसीलदार कसौली की गैर हिमाचली कृषकों से मिलीभगत का आरोप लगाया गया है। राजीव कुमार की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि मौजा सनवारा में भूमि की खरीद-फरोख्त के लिए 100 पेड़ों की बलि दी गई। उसके बाद गैर हिमाचली कृषक ने अपने हिमाचली नौकर के नाम पर यह जमीन खरीद ली। याचिकाकर्ता ने पेड़ों के अवैध कटान के बारे में स्थानीय प्रशासन के पास शिकायत दर्ज की। इसके लिए स्थानीय प्रशासन ने मात्र 11,000 रुपये का हर्जाना लगाया। वर्ष 2020 में याचिकाकर्ता को ज्ञात हुआ की भूमि के असली मालिक चंडीगढ़ से संजय दत्त और दिल्ली के अमित मोदी हैं। इन्होंने अपने नौकर अनिल कुमार के नाम पर 82 लाख रुपये में यह जमीन खरीदी। याचिकाकर्ता ने इस बारे अपनी शिकायत उपायुक्त सोलन के समक्ष दर्ज करवाई।

उपायुक्त सोलन के आदेशानुसार तहसीलदार कसौली ने मामले की छानबीन की। तहसीलदार ने फरवरी 2022 में उपायुक्त को अपनी रिपोर्ट सौंपी। तहसीलदार ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि जमीन से जुड़े दस्तावेजों के अवलोकन से प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि भूमि खरीद में किसी अन्य या गैर कृषक व्यक्ति ने राशि का भुगतान किया है। यह हिमाचल प्रदेश मुजारियत एवं भूमि सुधार अधिनियम की धारा 118 का उल्लंघन है। राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो सोलन ने भी अपनी विस्तृत रिपोर्ट में पाया कि भूमि की खरीद-फरोख्त हिमाचल प्रदेश मुजारियत एवं भूमि सुधार अधिनियम की धारा 118 के विपरीत है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया गया है कि तहसीलदार ने बाद में मई 2022 को अपनी रिपोर्ट बदल दी। डीसी सोलन ने भी गैर हिमाचली कृषकों  के साथ मिलीभगत से धारा 118 में मंजूरी के लिए उनका मामला भेज दिया। याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई है कि इस संपत्ति को बेनामी संपत्ति करार दिया जाए।

सरकारी स्कूलों में गैर शिक्षकों के खाली पदों को भरने के मामले की सुनवाई टली 
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट और लाइब्रेरियन के दो हजार से ज्यादा खाली पद पड़े हैं। पद पदों को भरने की मांग किए जाने के  मामले की सुनवाई तीन सप्ताह तक टल गई है। मुख्य  न्यायाधीश एए सैयर और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार को जवाब दायर करने के लिए अतिरिक्त समय दिया है।  ततापानी निवासी प्रताप सिंह ठाकुर की ओर से मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे पत्र पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। खंडपीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव सहित प्रधान सचिव शिक्षा को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया था। इस समय में राज्य सरकार जवाब दायर नहीं कर पाई। पत्र के माध्यम से आरोप लगाया गया है कि सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट और लाइब्रेरियन के दो हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। सरकारी स्कूलों में इन पदों के खाली रहते बच्चे निजी स्कूलों की तरफ रुख कर रहे हैं।  यह भी आरोप लगाया गया है कि गरीब लोग निजी स्कूलों की फीस नहीं दे पाते और सरकारी स्कूलों में पुस्तकालय न होने की वजह से बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में फेल हो जाते हैं। पत्र के माध्यम से गुहार लगाई है कि राज्य सरकार को सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट और लाइब्रेरियन के पद भरने के आदेश दिए जाए। मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के बाद निर्धारित की गई है।