भानुपल्ली-बिलासपुर रेललाइन: हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार ने बदला भू अधिग्रहण अधिकारी

नेत्र सिंह और शक्ति सिंह ने अधिकारी विशाल शर्मा के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। आपत्ति जताई थी कि स्थानीय व्यक्ति को बिलासपुर में रेलवे में भूमि अधिग्रहण अधिकारी लगाया गया है।

भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेललाइन (फाइल फोटो)

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी में रेललाइन करीब दो माह पहले तैनात भू अधिग्रहण अधिकारी विशाल शर्मा को सरकार ने हटा दिया है। अब वह मत्स्य विभाग में संयुक्त निदेशक का कार्यभार संभालेंगे। रेलवे के भूमि अधिग्रहण का जिम्मा एसी टू डीसी गौरव चौधरी को सौंपा गया है। उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद सरकार ने यह कार्रवाई की है।

बध्यात बामटा के दो लोगों नेत्र सिंह और शक्ति सिंह ने अधिकारी विशाल शर्मा के खिलाफ हाईकोर्ट में केस नंबर 4862 के तहत सिविल रिट याचिका दायर की थी। आपत्ति जताई थी कि स्थानीय व्यक्ति को बिलासपुर में रेलवे में भूमि अधिग्रहण अधिकारी लगाया गया है। कहा था कि अधिकारी ने दोस्तों और रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए आठ लाख प्रति बीघा वाली भूमि का भी नेगोसिएशन में कई गुना दाम लगाया है।

याचिका पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था कि अधिकारी को हटाएगी या नहीं, कोर्ट के आदेशों के बाद सरकार ने विशाल शर्मा को हटाकर गौरव चौधरी को भू अधिग्रहण अधिकारी का जिम्मा दिया। 22 जुलाई को मुख्य सचिव आरडी धीमान ने यह आदेश जारी किए थे। 

उधर, विशाल शर्मा ने अभी तक करीब 100 बीघा जमीन का मोलभाव कर सरकार को अप्रूवल के लिए फाइल भेजी है। अब उनके नेगोसिएशन के फैसले पर भी तलवार लटक गई है। रिट दायर करने वाले लोगों का कहना है कि रेललाइन के लिए जमीन का अधिग्रहण भूमि अधिग्रहण एक्ट के तहत ही होना चाहिए। 

बध्यात में शुरू होना था जंक्शन का निर्माण
बध्यात से पीछे लगभग सभी गांवों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। कुछ लोगों ने मोलभाव से जमीनें दी हैं। किसी ने एक्ट के तहत जमीन अधिग्रहण के लिए हामी भरी है। बध्यात और इसके आसपास करीब नौ गांवों की जमीन के मोलभाव कर फाइल सरकार को भेजी गई है, जिससे इसका जल्द अधिग्रहण हो सके और लुहणू खैरियां से बध्यात तक बनने वाले जंक्शन का निर्माण कार्य शुरू हो सके। 

बधयात बामटा के कुछ परिवार कोर्ट में गए थे कि विशाल शर्मा स्थानीय हैं तो उन्हें भू अधिग्रहण अधिकारी का कार्यभार सौंपना उचित नहीं है। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए थे कि उनकी जगह दूसरा अधिकारी लगाया जाए। सरकार ने गौरव चौधरी को भू अधिग्रहण अधिकारी नियुक्त किया है। विशाल शर्मा की ओर से भेजी फाइल पर इसका कोई असर नहीं होगा। इसकी स्क्रूटनिंग कई विभागों में होती है। उसके बाद ही पूरी छानबीन के बाद नेगोसिएशन के दाम पर सरकार अपनी मुहर लगाती है। जिस जमीन का मोल भाव हो चुका है, उस पर कोर्ट ने किसी भी प्रकार का आदेश जारी नहीं किया है। –