भारत ने पड़ोसी देशों के लिए बढ़ाया मदद का हाथ, खाद्य संकट से जूझ रहे देशों को भेजा 3.70 लाख टन गेहूं

नई दिल्ली. भारत ने सरकार-से-सरकार (जी-2-जी) प्रणाली के तहत अगस्त की शुरुआत तक 3,70,000 टन गेहूं दूसरे देशों को निर्यात किया है. इस प्रणाली का तात्पर्य भारतीय सरकार सीधे किसी दूसरे देश की सरकार से समझौता है. यहां बिचौलियों के रूप में निजी आयातकों व निर्यातकों को हटा दिया गया है. मनीकंट्रोल  की खबर के अनुसार, कई देशों से अब भी मांग बनी हुई है.

बता दें कि सरकार ने 13 मई को तत्काल प्रभाव से गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी. इसके साथ गेहूं के उत्पादों जैसे आटा, मैदा व होलमील आटा आदि का निर्यात भी रोक दिया गया था. दरअसर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश मेंलू के कारण गेहूं की फसलों को हुए नुकसान के बाद सरकार का यह फैसला आया था. कई मामलों में गेहूं खाने लायक भी नहीं रह गया था. हालांकि, सरकार ने कूटनीतिक स्तर पर इसका निर्यात रखा और वैश्विक खाद्य संकट से निपटने में मदद के लिए आग्रह के आधार पर निर्यात किया.

कई देशों से मिल रही मांग
मई के बाद करीब 12 देशों ने भारत से ऑर्डर किए गए गेहूं की खेप के संबंध में जानकारी मांगी है कि क्या उनकी मांग पूरी होगी या नहीं. वहीं, 47 देशों ने भारत से अनाज निर्यात करने का आग्रह किया है. सरकार के एक अधिकारी ने कहा है कि कई देशों को जवाब दे दिया गया और इनमें से कई गेहूं की खेप प्राप्त कर चुके हैं. उन्होंने कहा, “सरकार-से-सरकार प्रणाली के तहत 2.70 लाख टन गेहूं भेज दिया गया है. हालांकि, कई देशों से और मांग आ रही है जिसके मद्देनजर हम सख्ती से मॉनिटरिंग कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि यह जरूरतमंद बाजार तक पहुंचे.”

कितने देशों को भेजा गेहूं
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया था इसे केवल विनियमित किया गया था. भारत ने खाद्य संकट से जूझ रहे अपने पड़ोसी देशों को गेहूं का निर्यात किया है. इसमें बांग्लादेश, कतर, नेपाल और यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) शामिल हैं. सरकार अन्य देशों के आग्रह पर भी बारीकी से विचार कर रही है. वाणिज्य विभाग की वैश्विक गेहूं संकट की बदलती परिस्थिति पर नजर है.

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अब तक कितना गेहूं हुआ निर्यात
अधिकारी के अनुसार, भारत ने इस साल अब तक कुल 38 लाख टन गेहूं का निर्यात किया है. 3 साल पहले यह 2 लाख टन था. 2 साल पहले भारत ने 20 लाख टन गेहूं का निर्यात किया था जबकि पिछले साल 70 लाख टन गेहूं दूसरे देशों को भेजा गया था. सरकार का कहना है कि भारत में गेहूं की कोई कमी नहीं है और निर्यात प्रतिबंधों से कीमतों को कम रखने में मदद मिली.