नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर अवैध रूप से रह रहे लगभग 30 चीनी नागरिकों ने खुफिया एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले की पुलिस ने वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी अवैध रूप से देश में रह रहे 5 चीनी नागरिकों को पकड़ा था. पिछले महीने ही नोएडा में ऐसा एक और मामला सामने आया था. एक महिला समेत 14 चीनी नागरिकों की अवैध रूप से रहने की जानकारी मिली थी. इन सबको देश डिपोर्ट करने के लिए डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया.
हालांकि अधिकारियों को जासूसी की संभावना पर अभी तक कुछ भी ठोस सबूत नहीं मिला है. लेकिन चिंता जरूर बढ़ गई है. सूत्रों के मुताबिक भारत के अलग-अलग हिस्सों में अवैध रूप से रहने वाले चीनी नागरिकों के कई और मामले सामने आए हैं. खास कर महानगरीय शहरों में. एजेंसियों को ये भी संदेह है कि इनमें से कई लोगों ने नकली भारतीय पहचान पत्र प्राप्त किए हैं.
बढ़ी चिंता
एजेंसियां और सरकार यहां अवैध रूप से रहने वालों के बजाय भारत में घुसने वाले लोगों के मामलों के बारे में अधिक चिंतित हैं. दरअसल उनका मानना है कि नोएडा की घटना अकेली नहीं है. अधिकारियों का कहना है कि सीमा से भारत में आने वाले और देश में कहीं रहने वालों की तुलना में वीजा की समाप्ति के बाद भी भारत में रहने वालों को ट्रैक करना बहुत आसान है, क्योंकि हाल ही में एसएसबी द्वारा इस तरह के एक मामले का पता लगाया गया था.
एजेंसियों की नज़र
एक बड़े सरकारी अधिकारी के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने सीमाओं से आसान और अवैध प्रवेश-निकास और भारतीय शहरों में चीनी नागरिकों के ठहरने का मुद्दा उठाया है. सूत्रों ने कहा कि इस मामले पर पहले ही शीर्ष अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक में चर्चा हो चुकी है. बाद में, केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने भी भारत में अवैध रूप से रह रहे चीनी नागरिकों को लेकर संबंधित इकाइयों को कई इनपुट भेजे है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक ऐसे लोगों का पता लगाना आसान नहीं है.
ऐसे कई मामले!
एक अधिकारी ने कहा, ‘ऐसे और भी मामले हो सकते हैं जहां चीनी लोग अन्य पड़ोसी देशों की सीमाओं से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करते हैं और बाहर नहीं जाते हैं. उनका पता लगाना कठिन है लेकिन एजेंसियां ऐसे नागरिकों का पता लगाने के लिए राज्यों के साथ समन्वय कर रही हैं. एसएसबी ने हाल ही में इस तरह के एक मामले का खुलासा किया है.’
तालमेल की कमी?
सीमा-रक्षा बल सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) द्वारा भारत-नेपाल सीमा पर दो चीनी लोगों को पकड़ने के बाद एक विशेष अभियान शुरू किया, जो नोएडा में अवैध रूप से रहने के बाद भागने की कोशिश कर रहे थे. नोएडा पुलिस ने इन्हें पकड़ने के लिए एक अभियान शुरू किया है और भारत में अवैध रूप से रहने वाले लगभग 30 चीनी लोगों को हिरासत में लिया गया है. चीनी नागरिकों की पहचान वांग होंग हुयांग, यूआन हिवू, जे मेनजिओंग, जियांग हूनयोंग, हू यलीन के रूप में हुई है. ये सभी मोबाइल बनाने वाली एक कंपनी में बतौर इंजीनियर काम कर रहे थे.
कई राज्यों में पकड़े गए
सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, कई राज्यों में इस तरह के मामले मिले हैं. मार्च में, गुरुग्राम पुलिस ने एक चीनी नागरिक को गिरफ्तार किया था. जिसकी पहचान वांग यानम के रूप में हुई. वीजा खत्म होने के बाद भी वह देश में रह रहा था. इसी तरह, इस महीने, हिमाचल प्रदेश पुलिस ने एक महिला चीनी नागरिक को गिरफ्तार किया, जिसे बाद में वैध वीजा और पासपोर्ट के बिना पिछले दो वर्षों से भारत में रहने के लिए 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
राज्यों को भेजी जाती है जानकारी
आव्रजन ब्यूरो के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, बार-बार राज्यों को उन लोगों के बारे में जानकारी भेजता है जो भारत में अधिक समय से रह रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘शायद ही कोई राज्य कार्रवाई करता है. नोएडा के हालिया मामलों में बिहार से दो चीनी नागरिकों को गिरफ्तार किए जाने के बाद कार्रवाई की गई है. आईबी भी समय-समय पर इस बारे में इनपुट भेजता है लेकिन राज्यों को तेजी से कार्रवाई करनी होगी.’ लेकिन, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय एजेंसियां कोई विशिष्ट इनपुट नहीं भेजती हैं, केवल बुनियादी विवरण, जिससे उनके लिए उन विदेशियों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है जिन्होंने अपना पता बदल लिया है.
भारत छोड़ने का नोटिस
सरकार ने मंगलवार को कहा कि वर्ष 2019 से 2021 के दौरान चीन के 81 नागरिकों को वीजा संबंधी शर्तों का उल्लंघन करने के कारण भारत छोड़ने का नोटिस दिया गया तथा इसी अवधि में 117 अन्य लोगों को देश से बाहर भेजा गया. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि वीजा संबंधी शर्तों का उल्लंघन करने और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों के चलते 726 चीनी नागरिकों को प्रतिकूल सूची में रखा गया