मुंबई: अस्पताल के गलियारों में गूंजती है संगीत की आवाज, यह है मरीजों को ठीक करने का अनोखा तरीका

मुंबई: पुराने हिंदी फिल्मी गीत की मधुर धुन एक अस्पताल के गलियारों में गूंजती है, जहां मरीज एक व्यक्ति के आसपास इकट्ठा होते हैं और वह व्यक्ति मरीजों को गुनगुनाने और अपने साथ मधुर संगीत में डूब जाने को प्रेरित करता है. कृष्णन अय्यर (75) को रोगियों को ठीक करने के लिए मेडिकल डिग्री की आवश्यकता नहीं है, वह अपनी बांसुरी और हारमोनिका की धुन बजाकर ऐसा करते हैं.

संगीत की आवाज सुनकर मरीज खुद ही वहां इकट्ठा हो जाते हैं. (फाइल फोटो)

अपने संगीत के शौक को सेवा में तब्दील करने वाले अय्यर कहते हैं, ‘‘संगीत में रोग मुक्त करने की शक्ति होती है और इससे मिलने वाली खुशी और मन की शांति की तुलना आर्थिक लाभ से नहीं की जा सकती.’’

अध्ययनों से पता चला है कि संगीत चिंता और तनाव के स्तर को कम कर सकता है, दर्द में कमी लाने और बेहतर नींद लेने में मददगार साबित हो सकता है. विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, जहां उम्मीद और सकारात्मकता किसी भी गंभीर बीमारी से लड़ने के दो महत्वपूर्ण उपाय हैं, वहीं संगीत सबसे सस्ती दवा के रूप में उपलब्ध है.

अय्यर ने पीटीआई-भाषा से कहा कि वह कैंसर रोगियों, अनाथों, बूढ़े और जरूरतमंद व्यक्तियों के साथ समय बिताने और अपने संगीत के जरिये उनका मनोरंजन करने के बाद ऊर्जावान और उत्साहित महसूस करते हैं.

मुंबई के उपनगरीय विले पार्ले के रहने वाले अय्यर को बचपन में ही फिल्मी संगीत और वाद्ययंत्रों से प्यार हो गया था. अय्यर कहते हैं, ‘‘मुझे वाद्ययंत्र बजाना पसंद था, इसलिए मैंने हारमोनिका, बांसुरी और हारमोनियम बजाना सीखा. मैंने स्कूल और कॉलेज के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और बाद में जब मैंने शीर्ष कॉरपोरेट घरानों में नौकरी की, तो मैंने दोस्तों के साथ निजी समारोहों और पिकनिक में संगीत कला का प्रदर्शन किया.’’

हालांकि, संगीत के प्रति अय्यर के जुनून ने 15 साल पहले तब एक सार्थक मोड़ ले लिया, जब उनकी मां बीमार होने के बाद बिस्तर पर पड़ी थीं और उन्हें लगातार देखभाल की जरूरत थी, जो घर पर संभव नहीं था.

लगभग 10 वर्षों तक अस्पताल में आने-जाने वाले अय्यर ने कहा, ‘‘मैंने उन्हें जोगेश्वरी के एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया, जहां वह तीन साल तक रहीं और मैं हर हफ्ते उनसे मिलने जाता था. इस अस्पताल में 40 से 50 मरीज थे, जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं, जो बिस्तर पर पड़ी थीं. इस दौरान मैं उन मरीजों से बात करने के साथ-साथ उनके लिए संगीत भी बजाया करता था.’’

तब से, अय्यर ने दोस्तों के साथ मिलकर अंधेरी के एक क्लब में जाकर संगीत के साथ चिकित्सा की अपनी यात्रा शुरू की. यह क्लब वरिष्ठ नागरिकों के लिए है.