चंडीगढ़. यूपी के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी को रोपड़ जेल में दो साल से अधिक समय तक पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा कथित तौर पर वीआईपी सुविधाएं मुहैया करवाने के मामले में जांच पूरी कर ली गई है. जांच कमेटी ने यह रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. पिछली कांग्रेस सरकार पर आरोप है कि पंजाब की रोपड़ जेल में शिफ्ट करने के लिए मुख्तार अंसारी के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज की गई थी और अन्य मामलों में वांछित होने के बावजूद उसे उत्तर प्रदेश पुलिस को 2 साल से अधिक समय तक नहीं सौंपा गया, जिस एफआईआर के तहत अंसारी को पंजाब लाया गया था, उसकी जांच के आदेश सरकार ने जारी किए थे. बताया जा रहा है कि इस मामले में अंसारी की मदद करने वालों के खिलाफ भी पुलिस जल्द एफआईआर दर्ज कर सकती है.
जेल मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने बजट सत्र के दौरान पिछली कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया था कि अंसारी के खिलाफ 2019 में झूठी एफआईआर दर्ज की गई थी, ताकि वह पंजाब में आराम से रह सके. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा था कि वह 25 व्यक्तियों के लिए बने बैरक में अकेले रहता था. उसे हर तरह का वीआईपी ट्रीटमेंट मिला और उसकी पत्नी, जो उस दौरान रोपड़ में रह रही थी, आकर उसके साथ पूरे दिन जेल में रहती थी.
मुख्यमंत्री भगवंत मान को इस बाबत जेल मंत्रालय की ओर से जून में शिकायत की एक फाइल भेजी गई थी. शिकायत में कहा गया था कि रोपड़ में अंसारी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के तहत अदालत में कोई चालान पेश नहीं किया गया. साथ ही, अंसारी ने कभी जमानत के लिए आवेदन नहीं किया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही उसे वापस यूपी भेजा गया था.
इस दौरान यूपी पुलिस ने उसकी हिरासत को सुरक्षित करने के लिए पंजाब को 20 प्रोडक्शन वारंट भेजे, लेकिन पंजाब पुलिस ने उसकी हिरासत देने से इनकार कर दिया. आखिरकार यूपी पुलिस ने उसकी हिरासत की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट दायर की थी. राज्य सरकार ने उसका बचाव करने के लिए एक हाई प्रोफाइल वकील को काम पर रखा था और वकील को 55 लाख रुपये की अदायगी की.