शहद अपनी मिठास के लिए जाना जाता है. सोचिए अगर शहद से उसकी मिठास छीन ली जाए तो शहद के पास क्या ही बचेगा? वैसे आपको सोचने की जरूरत नहीं क्योंकि आप ऐसा शहद टेस्ट भी कर सकते हैं जिसमें मिठास नहीं होती. जी हां ऐसा शहद दुनिया में मौजूद है. दरअसल हम यहां बात कर रहे हैं कॉर्बेजेलो शहद की, जो स्वाद में मीठा नहीं बल्कि कड़वा होता है.
2000 साल पुराना है ये शहद
कहा जाता है कि हजारों साल पहले एक दार्शनिक और वकील मार्कस सिसेरो ने हत्या के आरोपी के पक्ष में वकालत करते हुए सार्डीनिया के आइलैंड का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि इस आइलैंड के इंसान से सामान तक सब बुरे होते हैं. इसी बहस में उन्होंने सार्डीनिया के शहद का जिक्र करते हुए इसे कड़वा बताया था. सिसेरो द्वारा जिक्र किए गए इस शहद का स्वाद कड़वा होता है, लेकिन इसकी कड़वाहट के बावजूद ये अभी भी इटली में प्रसिद्ध है.
इसी सार्डीनियन शहद को कॉर्बेजेलो शहद कहा जाता है. ये शहद मुख्य रूप से इटली के सार्डीनिया टापू पर बड़ी मात्रा में होता है. सालों पुराने इस कडवे शहद का आज के दौर में भी उत्पादन होता है. बीबीसी की एक रिपोर्ट की मानें तो सिसेरो ने 106 से 43 ईसा पूर्व के दौर में इस शहद के कड़वे होने की बात कही थी. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस शहद का का उत्पादन कितने समय पहले से हो रहा है.
बहुत मुश्किल है इस शहद को बनाना
बताया जाता है कि कॉर्बेजेलो पौधों के फूल से प्राप्त होने वाले इस कॉर्बेजेलो शहद को बनाना काफी मुश्किल काम है. शरद ऋतु के दौरान फूलने वाले कॉर्बेजेलो फूलों को खिलने के लिए काफी खास मौसम की जरूरत पड़ती है. ज्यादा बारिश में फूलने वाले ये फूल आकार में बेल की तरह होते हैं, जिससे मधुमक्खियों को इसमें घुसने में काफी समस्या होती है. यही वजह है कि उन्हें मधु जुटाने में मुश्किल होती है.
तीसरी समस्या और भी ज्यादा जटिल है. एक तरफ इन फूलों को खिलने के लिए ज्यादा बारिश की जरूरत होती है तो वहीं ज्यादा बारिश के कारण मधुमक्खियां अपने छत्ते से निकल कर मधु नहीं जुटा पाती हैं.
इसलिए कड़वा होता है इसका स्वाद
एक बात ये भी सोचने वाली है कि अगर इस शहद का स्वाद कड़वा है तो भला लोग इसे क्यों पसंद करते होंगे. दुनिया के सबसे दुर्लभ शहद में शुमार कॉर्बेजेलो शहद इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि इसमें काफी खूबियां हैं. काफी कम मात्रा में बनाए जाने वाले वाले इस शहद का स्वाद ऐसा होता है जैसे सिरका, देवदार के पेड़ का रस, नद्यपान, चमड़ा और कॉफी के स्वादों को मिला दिया गया हो. ऐसे में लोगों को ये शहद कड़वा स्वाद देता है.
संजीवनी से कम नहीं ये शहद
हालांकि अभी तक ये नहीं पता लगाया जा सका है कि आखिर ये शहद कड़वा क्यों होता है लेकिन कुछ जानकारों के मुताबिक ग्लाकोसाइड आर्ब्यूटिन नाम के पदार्थ के कारण इस शहद की कड़वाहट बनी है. माना जाता है कि ये शहद किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है. स्वास्थ्य के लिए कई लाभ दायक चीजें का मिश्रण लिए इस शहद में विटामिन, मिनरल होता है. इसके साथ ही ये नींद लाने, खांसी और बलगम जैसी समस्याओं में रामबाण साबित होता है.