देश भर की 163 महिला अधिकारी इस सम्मेलन में शिरकत कर रही हैं। इस सम्मेलन में उठने वाले मुद्दों की रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय के समक्ष रखी जानी है।
देश की महिला आईपीएस अधिकारियों, अर्द्धसैनिक बलों और महिला पुलिस अधिकारियों के दो दिवसीय 10वें राष्ट्रीय सम्मेलन में महिला पुलिस की वर्दी बदलने पर मंथन हुआ। शिमला में होलीडे होम होटल में सम्मेलन के पहले दिन चले तकनीकी सत्र में हिमाचल की एडीजीपी विजिलेंस सतवंत अटवाल और मध्य प्रदेश की एडीजीपी अनुराधा शंकर ने कहा कि देश में अंग्रेजों के जमाने की चली आ रही महिला पुलिस की वर्दी को बदलने की जरूरत है। सम्मेलन का उद्घाटन राजभवन में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने किया
महिला अधिकारियों ने कहा कि महिला और पुरुषों के लिए एक जैसी वर्दी सही नहीं है। इस वर्दी में पुरुष अधिकारी को अपना फिट शरीर दिखाना होता है, उनके लिए वर्दी ठीक है, लेकिन महिला पुलिस को अपना शरीर छिपाना होता है, ऐसे में इस वर्दी को बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गर्भावस्था और माहवारी के दौरान ड्यूटी पर उन्हें कई बाद इस वर्दी के कारण लज्जित भी होना पड़ता है। थानों में गालीगलौज नहीं होना चाहिए।
महिलाओं के लिए हल्के और छोटे हथियार हों। पुरुष और महिला पुलिस के लिए बजट समान हो। देश भर की 163 महिला अधिकारी इस सम्मेलन में शिरकत कर रही हैं। इस सम्मेलन में उठने वाले मुद्दों की रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय के समक्ष रखी जानी है। मध्य प्रदेश की एडीजी अनुराधा शंकर ने कहा कि पुलिस विभाग में महिला पुलिस कर्मचारियों और अधिकारियों को जो माहौल मिलना चाहिए, उसका अभी भी अभाव है।
हर साल आधारभूत ढांचा विकसित करने के लिए पुलिस थानों से बजट उपलब्ध कराए जाने का प्रस्ताव मांगा जाता है। सही अनुपात में बजट का प्रावधान होना आवश्यक है। मध्य प्रदेश में महिला पुलिस के लिए खाकी व नीली कुर्ता सलवार वर्दी की व्यवस्था है। इसकी सराहना हो रही है। इस मौके पर तमिलनाडु से आईपीएस अधिकारी सोनल चंद्र ने महिलाओं के यौन शोषण रोकने के लिए बनाई समिति पर विचार साझा किए।
चीन सीमा पर आधारभूत ढांचा विकसित करने की जरूरत
राजधानी शिमला में पुलिस के राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहुंची भारतीय प्रशासनिक अधिकारियों ने चीन सीमा पर सड़कें, अस्पताल जैसे आधारभूत ढांचा विकसित करने, नशे के खिलाफ सीआरपीसी के तहत कार्रवाई करने और महिला कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान पेश आ रहीं चुनौतियों पर विचार रखे।
अंजाव में सड़कें और इंटरनेट सुविधा को बेहतर करना जरूरी
साल 2015 बैच की आईपीएस नेहा यादव अरुणाचल में प्रिंसिपल पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज (एजीएमयूटी) में सेवाएं दे रही हैैं। वह भारत-चीन सीमा पर अंजाव क्षेत्र में 16 महीने बतौर एसपी रही हैं। कहा कि सीमा पर सबसे बड़े चुनौती स्थानीय लोगों के साथ सूचनाओं के आदान-प्रदान करने की है। सीमा से सटे देश के पहले गांव काहो (किबिथू) में इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है। सरकार ने 900 मोबाइल टावर लगाने हैं। सीमा तक सटे क्षेत्र में चीन ने फोरलेन का विस्तार किया है, जबकि हमारी सड़क सीमा से करीब 30 किमी दूर है। सीमा पर स्कूल, अस्पताल, सड़कें और इंटरनेट कनेक्टिविटी सुविधाओं को बेहतर करने की जरूरत है।
सीआरपीसी के तहत होने होनी चाहिए कार्रवाई
एसीपी सिटी क्राइम ब्रांच (महिला प्रोटेक्शन विंग) रीना अपर्णा ने बताया कि बंगलूरू में ड्रग पैडलरों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जाती है। यहां रोडी शिटर और एमओबी के खिलाफ सीआरपीसी के तहत कार्रवाई की जाती है। इससे यह लोग कंट्रोल में होते हैं। इसके साथ एनसीसीटीएस फिंगर प्रिंट के संदिग्धों पर नजर रखी जाती है। फिंगर प्रिंट स्कैन करने पर पता चलता है कि व्यक्ति पहले मामले में संलिप्त है कि नहीं।
नशेड़ियों की बजाय ड्रग पैडलरों को पकड़कर प्राथमिकता होती है। इसके अलावा पुलिस वालों के लिए सुबाहु एप बनाई गई है। इसमें क्यूआर कोड को जोड़ा गया था। इससे पुलिस कर्मी को ड्यूटी के समय बीट पर सुनिश्चित जगह पर फिंगर से क्यूआर कोड स्कैन करना होता है। इससे पुलिस कर्मी की हर गतिविधियों को पता अधिकारियों को चलता है। कि वह ड्यूटी पर गया है या नहीं।
महिला होना एक देनदारी नहीं होना चाहिए
एडीजीपी अनुराधा शंकर, 1990 बैच की आईपीएस (एमपी) ने कहा कि अधिकार कर्तव्य से जुड़े हैं। महिलाएं नौकरी के साथ पारिवारिक जिम्मेदारियों का भी निर्वहन करती हैं। महिलाओं के काम को सम्मान मिलना चाहिए। उसे काम के प्रेशर को अपनी ताकत बनाना होगी। कहा कि महिलाओं की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए योजना के साथ मकान बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा गर्भवती महिला कर्मचारियों के लिए कार्य स्थल पर ही हर तरह की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। इसके अलावा महिलाओं की वर्दी को बदलने पर भी विचार किया जा रहा है।