शशांक और सार्थक 12 अगस्त को घूमने चले गए। शशांक ने वापस आकर रुपयों का हिसाब करने और देखने के लिए कहा था। इस बात का बदला लेने के लिए उसने हत्याकांड और लूटपाट की साजिश रच ली। इसके लिए 13 अगस्त को वह सदर बाजार गया। वहां से 300 रुपये में एक बड़ा चाकू खरीदकर लाया। शाम के समय वह बहाने से घर पहुंचा और वारदात को अंजाम दिया। बाद में वह फरार हो गया।
के बाद पूरे घर का सामान उथल-पुथल कर दिया। पुलिस को ऐसा लगे कि किसी ने छत के रास्ते चुपचाप आकर वारदात को अंजाम दिया, इसलिए आरोपी छत का दरवाजा खोलने के लिए ऊपर गया। वहां वह छत के दरवाजे के पास लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया। हर्षित को लगा कि वह सीसीटीवी की वजह से पकड़ा जाएगा।
ऐसे में हत्या करने के अगले दिन दोबारा वह डॉली के घर पहुंचा। वहां उसने छत के दरवाजे पर लगे सीसीटीवी कैमरे को तोड़ने के अलावा बाकी कैमरे भी तोड़े डाले। हर्षित को यह पता था कि मेन गेट पर लगा सीसीटीवी कैमरा खराब है। इसलिए उसने मेन गेट का इस्तेमाल किया। डॉली के घर के मेन गेट पर ऑटोमेटिक लॉक लगा था। हल्का सा इशारा होने पर दरवाजा अंदर से खुद ही बंद हो जाता था। बाहर से गेट खोलने के लिए चाबी का इस्तेमाल करना पड़ता था। हर्षित के पास डॉली के मेन गेट की दूसरी चाबी मौजूद थी।
वहीं दूसरी ओर पुलिस ने शक के आधार पर जब हर्षिक का मोबाइल चेक किया तो पता चला कि वह अपने मोबाइल पर गूगल की मदद से घर में सोना ढूंढने की तरकीब खोज रहा था। इसके अलावा उसने गूगल की मदद से ही सोने के बदले कैश देने वाली दुकानों का भी पता किया था। पुलिस ने उससे पूछताछ की तो उसने हत्या की बात कबूल कर ली।