लवप्रीत सिंह: कभी सब्ज़ी मंडी में पॉकेट मनी के लिए काम करते थे, आज देश के लिए जीत लाए पदक

lovepreet singh CWG 2022 Bronze

इंग्लैंड के बरमिंघम में हो रहे कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (Commonwealth Games 2022) में लवप्रीत सिंह (Lovepreet Singh) ने वेटलिफ़्टिंग के 109 Kg वर्ग में भारत को कांस्य पदक जीता कर 14वां मेडल दिलाया. लवप्रीत ने कुल 355 किलोग्राम वज़न उठाकर नेशनल रिकॉर्ड बनाया. स्नैच राउंड में उन्होंने 157 Kg, 161 Kg और 163 Kg भार उठाया. क्लीन ऐंड जर्क में उन्होंने 185 Kg, 189 Kg और 192 Kg भार उठाया. हालांकि वो पोडियम के बीच में खड़े होने से चूक गए लेकिन उनकी ये सफ़लता किसी मायने में कम नहीं.

गांव के लड़कों को देख सीखी वेटलिफ़्टिंग

6 सितंबर 1997 को लवप्रीत सिंह का जन्म पंजाब के अमृतसर के पास बसे गांव बाल सचंदर में हुआ. गांव के किसी आम बच्चे की तरह ही उनकी ज़िन्दगी चल रही थी. The New Indian Express के मुताबिक, जब लवप्रीत 13 साल के थे तो अपने ही गांव में कुछ युवाओं को उन्होंने भार उठाते यानि वेटलिफ़्टिंग करते देखा. लवप्रीत को पहले ही नज़र में ये खेल भा गया और उन्हें भी इसमें हिस्सा लेने की इच्छा हुई.

पिता दर्ज़ी हैं, बेटा देश के लिए मेडल जीत लाया

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सपने देखना तो एक बात होती है लेकिन उन सपनों को पूरा कर पाना दूसरी. लवप्रीत सिंह ने जागती आंखों से एक सपना देखा था लेकिन उस सपने को पूरा करने की राह में सबसे बड़ी समस्या थी आर्थिक समस्या. लवप्रीत सिंह के पिता कृपाल सिंह पेशे से दर्ज़ी हैं और उनकी छोटी सी दुकान है. कृपाल सिंह की कमाई इतनी नहीं थी जिससे उनके बड़े बेटे का काम पूरा हो.

सब्ज़ी मंडी में काम करना शुरू किया

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आर्थिक कमज़ोरी लवप्रीत सिंह का सपना नहीं तोड़ पाई. अमृतसर की ही सब्ज़ी मंडी में वे विक्रेताओं की मदद करने लगे. इससे उन्हें कुछ पैसे मिल जाते और उनका वेटलिफ़्टिंग भी हो जाती. लवप्रीत सिंह सुबह 4 बजे उठकर मंडी पहुंचते और काम करते. 6 बजे तक ये काम करने के बाद वे ट्रेनिंग के लिए जाते थे.

लवप्रीत सिंह के पिता कृपाल सिंह ने बताया कि उनके बेटे को रोज़ लगभग 300 रुपये दिहाड़ी मिलती थी. उन पैसों से वो अपनी डायट और अन्य ज़रूरतें पूरी करते थे.

वेटलिफ़्टिंग ने भारतीय नौसेना तक पहुंचाया

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लवप्रीत सिंह निरंतर संघर्ष करते रहे लेकिन हार नहीं मानी. शायद 13 साल की उम्र में ही उन्होंने खुद को देश के लिए पदक जीतते हुए देख लिया था. खुली आंखों से देखे सपने सच होते हैं. उनकी मेहनत रंग लाई और वे राज्य स्तरीय वेटलिफ़्टिंग प्रतियोगिताएं जीतने लगे. एक प्रतियोगिता ने ही उन्हें भारतीय नौसेना तक पहुंचाया. 2015 में उन्होंने भारतीय नौसेना जॉइन की. 

सिंह के छोटे भाई हरप्रीत ने बताया कि उन्होंने नौसेना के ट्रायल्स दिए और चुन लिए गए. बीते 7 साल से वो नौसेना में बतौर हवलदार काम कर रहे हैं. हरप्रीत ने ये भी बताया कि लवप्रीत के दादा गुरनैल सिंह और चाचा भी उनकी आर्थिक मदद करते थे ताकि लवप्रीत का सपना न टूटे.

लवप्रीत की जीत उनकी अकेले की नहीं, बल्कि पूरे परिवार की है.