दिल्ली दंगों के आरोपी शरजील इमाम (Delhi Riots Accussed Sharjeel Imam) को लेकर दिल्ली के तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने नई जानकारी बताई है। अधिकारियों ने बताया कि शरजील इमाम की कोठरी की तलाशी के दौरान 30 जून को कलाई पर बांधी जाने वाली एक घड़ी मिली है, जो कि प्रतिबंधित सामान है।
पिछले महीने हुई तलाशी के बाद इमाम ने एक याचिका दायर करते हुए तलाशी लेने वाले ‘सेवादारों’ पर उनसे मारपीट करने का आरोप लगाया था। सेवादार कैदी होते हैं, जिन्हें अच्छे आचरण के बाद जेल प्राधिकारियों की मदद करने की अनुमति दी जाती है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत ने 23 जुलाई को सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद तिहाड़ जेल के अधिकारियों से उसके समक्ष पेश होने को कहा था।
सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल प्राधिकारियों ने इस आरोप से इनकार कर दिया कि इमाम से मारपीट की गयी और इसके बजाय उस पर सेवादारों से गाली गलौज करने तथा तलाशी का विरोध करने का आरोप लगाया। जेल के एक अधिकारी ने अदालत में अपने मौखिक बयान में कहा, ‘‘शुरुआत में वह (इमाम) तलाशी का विरोध कर रहा था। यह उसका मुख्य एजेंडा था। इसके बाद उसने आरोप लगाया कि तीन लोग (सेवादार) उसकी किताबें फेंक रहे हैं। वह लगातार गाली गलौज करता रहा। इस बीच, सेवादारों को कलाई पर बांधने वाली एक घड़ी मिली। उसके पास एक बैग भी था, जिसकी तलाशी नहीं लेने दी गई।’’
अधिकारी ने कहा कि घड़ी के बारे में पूछे जाने पर इमाम ने दावा किया था कि उसके पास आवश्यक अनुमति पत्र था, जो उसने एक किताब में रखा था और गलती से बिहार में अपने घर भेज दिया। जेल अधिकारी ने आगे कहा, ‘अभी हम अनुमति पत्र मिलने का इंतजार कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि यह जेल प्राधिकारियों पर दबाव बनाने का इमाम का एक हथकंडा था।
बहरहाल, इमाम की ओर से पेश वकील अहमद इब्राहिम ने इन दलीलों का विरोध किया और कहा कि कलाई पर बांधे जाने वाली घड़ी प्रतिबंधित नहीं, बल्कि निषिद्ध सामान है, जिसके लिए उसने 2020 में तत्कालीन जेल अधीक्षक से अनुमति ली थी। वकील ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज से साफ है कि एक भी ऐसी घटना नहीं हुई, जब उसने तलाशी का विरोध किया हो। इसके बजाय वह बाहर आया और इस पर आपत्ति जताई कि उसकी किताबों को जमीन पर फेंका जा रहा है। इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 16 अगस्त की तारीख तय की गई है।