राजधानी में पेयजल लाइनें बिछाने के प्रोजेक्ट को केंद्र की मंजूरी मिलने के बाद कंपनी इन पर काम करने की तैयारियों में जुट गई है।
हिमाचल प्रदेश के शिमला शहरवासियों को 24 घंटे पानी देने के प्रोजेक्ट के तहत चार फार्मूलों पर काम होगा। राजधानी में पेयजल लाइनें बिछाने के प्रोजेक्ट को केंद्र की मंजूरी मिलने के बाद कंपनी इन पर काम करने की तैयारियों में जुट गई है। सतलुज का पानी शिमला पहुंचते ही इस नई व्यवस्था को भी लागू किया जाएगा। पेयजल कंपनी के अनुसार सतलुज वाटर प्रोजेक्ट के तहत दो चरणों में काम होना है। पहले चरण में सतलुज का पानी शकरोड़ी से शिमला लाने का है, जबकि दूसरा शिमला शहर में इस पानी के वितरण के लिए नई लाइनें बिछाने से जुड़ा है
पहले चरण के काम की तकरीबन सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं और इसका निर्माण कार्य भी शुरू करवा दिया गया है। अब दूसरे चरण के काम पर 492 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। यह बजट कुल चार कामों पर खर्च होगा। पहला 24 घंटे पानी देने, दूसरा प्रेशर से सप्लाई, तीसरा उपभोक्ताओं की शिकायतें निपटाना और चौथा बिलिंग व्यवस्था को दुरुस्त
इन चारों मानकों को लागू करने के लिए कंपनी कई बदलाव करेगी। इस पूरे प्रोजेक्ट का टेंडर अक्तूबर तक अवार्ड करने की तैयारी है। साल 2025 तक इसे पूरा किया जाना है। पेयजल कंपनी के प्रबंध निदेशक पंकज ललित ने बताया कि जल्द टेंडर प्रक्रिया को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि शिमला शहर में पेयजल लाइनें बिछाने का काम शुरू हो सके।
चार प्लान, जिससे बेहतर होगी पेयजल व्यवस्था
1. पहले प्लान में करीब 250 किमी लंबी नई लाइनें बिछाकर लीकेज दूर करेंगे। अभी कुल सप्लाई का 25 फीसदी पानी लीकेज से बर्बाद होता है। लीकेज रुकने से पानी बचेगा और 24 घंटे सप्लाई मिलेगी। कंपनी की आय भी बढ़ेगी।
2. दूसरे प्लान में सभी उपभोक्ताओं को 16 से 20 घंटे एक समान प्रेशर से सप्लाई देने का है। अभी कई इलाकों में प्रेशर कम ज्यादा रहता है। कंपनी को सबसे ज्यादा शिकायतें भी प्रेशर से जुड़ी मिलती है। अब इसे ठीक करेंगे।
3. पेयजल उपभोक्ताओं की पानी से जुड़ी शिकायतें सुनने के लिए अलग ग्रिवांस सेल बनेगा। अलग हेल्पलाइन भी बनेगी। यह सैल 24 घंटे में पानी से जुड़ी शिकायतें निपटाएगा। लोगों को इसकी फीडबैक भी देगा।
4. एएमआर से दूर होगी बिल की परेशानी
नई पेयजल लाइनों के अलावा सभी उपभोक्ताओं के नए मीटर लगेंगे। एएमआर (ऑटोमैटिक मीटर रीडिंग) मीटर लगने से खुद ही हर महीने बिल जनरेट होंगे। बिल देने के लिए रीडर नहीं लगाने पड़ेंगे। ऑनलाइन बिलिंग व्यवस्था मजबूत होगी।